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Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी से जानें क्या भक्ति कम-ज्यादा होने से भगवान हमसे नाराज हो जाते हैं

Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल वचन लोगों को उनके जीवन के प्रेरित करते हैं. नाम जप, भगवान की सेवा, माता-पिता की सेवा करना ही परम सेवा है. जानते हैं प्रेमानंद जी महाराज से क्या भक्ति कम-ज्यादा होने से भगवान हमसे नाराज हो जाते हैं.

By: Tavishi Kalra | Published: December 23, 2025 8:07:58 AM IST



Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज, एक हिंदू तपस्वी और गुरु हैं, जो राधावल्लभ संप्रदाय को मानते हैं. प्रेमानंद जी महाराज अपनी भक्ति, सरल जीवन, और मधुर कथाओं के लिए लोगों में काफी प्रसिद्ध हैं. हर रोज लोग उनके कार्यक्रम में शामिल होते हैं जहां वह लोगों के सवालों के जवाब देते हैं.हजारों लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं. उनके प्रवचन, जो दिल को छू जाते हैं, ने उन्हें बच्चों और युवाओं सहित विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया है. प्रेमानंद जी महाराज नाम जप करने के लिए के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं और साफ मन से अपने काम को करें और सच्चा भाव रखें.

भक्त के सवाल पर प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि क्या भक्ति कम या ज्यादा होने पर भगवान हमसे नाराज हो जाते हैं..

अगर आप बिलकुल भी भक्ति नहीं करेंगे तो भी भगवान आपसे नाराज नहीं होंगे, अगर आप खूब पाप करेंगे तो भी भगवान आपसे नाराज नहीं होंगे. आपको बीज और खेती दे दी गई है आप जैसे चाहे करें, लेकिन काटना आपको पड़ेगा. अगर आप गेंहू बोते हैं तो छुआरा खाने को नहीं मिलेगा, बबुल बोते हैं तो आपको रोटी खाने को नहीं मिलेगी. जो बुएंगे वहीं आपको प्राप्त होगा. भजन में कभी कमी आ रही है, तो यह साधक की दिनचर्या के ऊपर रहता है, हमको हठी स्वभाव बनाना पड़ेगा और अपना काम करना पड़ेगा.

अगर रोज भजन करने वाला इंसान एक दिन कम भजन करेगा, तो वो उस दिन बेचैन हो जाता है, यह बर्दाश्त नहीं कर पाएगा, अगर वो बर्दाश्त करना सीख गया तो विष्यों में घिर जाएगा. जो बर्दाश्त नहीं कर पाता वो माया को क्रॉस कर गया. वैसे तो साधक अवस्था में नियम को नहीं तोड़ना चाहिए. आपका मन लगे या ना लगे तो आपको नियम की पूर्ति करनी है. अपने को जिनता कसते चले जाओे उतना अच्छा रहेगा और आनंद का अनुभव होगा. जब तक पाप नष्ट होंगे तो आपको आनंद की अनुभूति नहीं होगी.

नियम से चलने वाला ही माया पर विजय प्राप्त करता है. 11 माला को 11 , अपने नियम के पक्के रहें, वो उपासक सफल होता है. यह बहुत बड़ी चढ़ाई है, हमें फिसल के गिरना नहीं है, फिर चलना है दृढ़ निश्चय बनाकर चलना है. ऊंचाई पर पहुंचना है तो नियम बनाकर चलें और लक्ष्य के आगे बढ़ें.

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Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. Inkhabar इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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