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निगेटिव सोच से कैसे बचें? प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं सही वजह

Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल वचन लोगों को उनके जीवन के प्रेरित करते हैं. नाम जप, भगवान की सेवा, माता-पिता की सेवा करना ही परम सेवा है. जानते हैं प्रेमानंद जी महाराज से आखिर क्यों मन में बुरे और नेगेटिव ख्याल आते हैं.

By: Tavishi Kalra | Published: November 22, 2025 8:00:00 AM IST



Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज, एक हिंदू तपस्वी और गुरु हैं, जो राधावल्लभ संप्रदाय मो मानते हैं. प्रेमानंद जी महाराज अपनी भक्ति, सरल जीवन, और मधुर कथाओं के लिए लोगों में काफी प्रसिद्ध हैं. हर रोज लोग उनके कार्यक्रम में शामिल होते हैं जहां वह लोगों के सवालों के जवाब देते हैं.हजारों लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं. उनके प्रवचन, जो दिल को छू जाते हैं, ने उन्हें बच्चों और युवाओं सहित विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया है. प्रेमानंद जी महाराज नाम जप करने के लिए के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं और साफ मन से अपने काम को करें और सच्चा भाव रखें.

इस लेख के जरिए जानें क्यों हमारे मन में हमेशा नेगेटिव बातें आती हैं, क्यों नकारात्मक बातें हमारे मन में बस जाते हैं और हम उससे बाहर नहीं आ पाते.  आखिर डिप्रेशन की वजह क्या होती है. क्यों लोगों में मन में हमेशा एक डर का माहौल बना रहता है, जानें प्रेमानंद जी महाराज की प्रेरक बातें और जानें इन मुश्किलों से कैसे बचें और किन बातों का भी ख्याल रखें.

प्रेमानंद महाराज जी का मानना है कि जब हृदय हमारा अपवित्र होता है तो नकारात्मक सोच फेंकता है. जब पवित्र होता है तो सकारात्मक सोच देता है. तो हमें नाम जप के द्वारा और शास्त्र स्वाध्याय के द्वारा तीर्थ अवगाहन के द्वारा, संत समागम के द्वारा अपने मन और हृदय को पवित्र करना चाहिए जिससे हमारा हृदय सकारात्मक सोच वाला हो जाए. यदि सकारात्मक सोच वाला हो गया तो भारी से भारी दुख और विपत्ति में भी हम उसे सह करके आनंद पूर्वक पार कर सकते हैं.

वहीं अगर नकारात्मक सोच रहा वो सुख और सुविधा में भी नकारात्मक सोच लाकर हमें दुख और दुविधा में फंसा देगा. भारी चिंता, भारी सोच कहीं ऐसा ना हो जाए, कहीं यह ना हो जाएं, पल-पल की चिंता आपको खाती है. कोई कभी इतनी नेगेटिव सोच डाल देता है कि सुख, सुविधा में है, और जिंदगी में कोई समस्या नहीं फिर भी आंतरिक समस्याओं में फंसा रहता है और इतनी समस्या बढ़ जाती और पाप बढ़ जाते हैं, फिर आदमी को एक रास्ता नजर आता है और वह अपने आपको खत्म कर देते हैं. यह सबकुछ नकारात्मक सोच या नेगेटिव सोच का परिणाम है. सोचते-सोचते आप डिप्रेशन में पहुंच जाते हैं और कोई और रास्ता नहीं मिला तो सुसाइड कर लेते हैं.

इसीलिए अगर नकारात्मक सोच बढ़ने लगे तो उसे तुरंत रोके. गंगा आदि पवित्र नदियों का अवगाहन करें, स्नान करें, पवित्र ग्रंथों का पाठ करें, संतों के संग बैठे, नाम जप करें इससे आपका हद्वय पवित्र हो जाएगा और पवित्र हद्वय में ही सकारात्मक और पॉजीटिव सोच होती है.

प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि मनुष्य को अपने आप इन नेगेटिव बातों से दूर रखना जरूरी है. अन्यथा यह सब बातें मन में घर कर जाती हैं और फिर इनसे बाहर निकला मुश्किल हो जाता है. नेगेटिव बातें हमारे और हमारे से जुड़े लोगों के मन में और जीवन में दिक्कत पैदा कर सकती हैं. इसीलिए भगवान का नाम जप करें, अच्छा करें, अच्छा सोचे, मन को बुरे विचारों से दूर रखें और अपने काम में मन लगाएं, और जो कुछ भी करें उसे दिल से करें. अपने जीवन को आनंदपूर्वक बिताने की कोशिश करें.

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Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. Inkhabar इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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