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Janmashtami 2025: मथुरा के अलावा इन जगहों पर भी देखने को मिलती हैं श्रीकृष्ण की छवि और राधा-कृष्ण के प्रेम का अनोखा संगम

अभी कुछ ही दिनों में जन्माष्टमी का पावन त्यौहार आने वाला है लोग इस त्यौहार को काफी खुशी के साथ मनाते हैं वह अपने छोटे-छोटे बच्चों को श्री कृष्णा और राधा के कपड़े पहनाकर उन्हें बिल्कुल भगवान की तरह तैयार करते हैं। लोग इस दिन पर खुशी से झूमते हैं नाचते गेट हैं

By: Anuradha Kashyap | Published: August 15, 2025 5:02:21 PM IST



Janmashtami 2025: अभी कुछ ही दिनों में जन्माष्टमी का पावन त्यौहार आने वाला है लोग इस त्यौहार को काफी खुशी के साथ मनाते हैं वह अपने छोटे-छोटे बच्चों को श्री कृष्णा और राधा के कपड़े पहनाकर उन्हें बिल्कुल भगवान की तरह तैयार करते हैं। लोग इस दिन पर खुशी से झूमते हैं नाचते गेट हैं और जन्माष्टमी का त्योहार आते ही अक्सर लोग मथुरा और वृंदावन को याद करते हैं क्योंकि यह जगह श्री कृष्ण के जन्म और उनकी बाल लीलाओं से काफी हद तक जुड़ी हुई है लेकिन केवल मथुरा और वृंदावन में ही नहीं बल्कि इन जगहों से भी कृष्ण का काफी खास नाता है हर एक जगह श्री कृष्ण के जीवन का पहलू दर्शाती है।  

द्वारका करता है लोगों को अपनी तरफ अट्रैक्ट 

गुजरात के समुद्री तट पर बसी द्वारका श्री कृष्णा की लिए एक काफी खास जगह है मथुरा छोड़ने के बाद उन्होंने यदुवंश को यहां पर बसाया था। द्वारका में कृष्ण केवल राजा ही नहीं थे बल्कि वहां वह जनता के प्रोटेक्टर और मार्गदर्शक भी हुआ करते थे। यहां का द्वारकाधीश मंदिर आज भी लोगों को अपनी तरफ काफी हद तक अट्रैक्ट करता है और जन्माष्टमी के मौके पर यहां पर काफी विशेष उत्सव मनाया जाता है। 

 कुरुक्षेत्र में श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश

कुरुक्षेत्र वह जगह है जहां पर महाभारत का युद्ध हुआ था और इसी जगह पर श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। कुरुक्षेत्र केवल एक युद्ध भूमि नहीं है बल्कि यह लाइफ के धर्म और कर्तव्य का एक स्कूल भी है श्री कृष्ण ने जो अर्जुन को मौत त्याग कर युद्ध करने का संदेश दिया आज भी लोगों के लिए वह काफी ज्यादा प्रेरणा बनता है। कुरुक्षेत्र हमें यह दिखाता है कि श्री कृष्ण केवल प्रेम के प्रतीक नहीं है बल्कि वह धर्म और नीति के भी काफी अच्छे मार्गदर्शक हैं। 

गोकुल में श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की छवियां है

गोकुल एक खास जगह है क्योंकि श्री कृष्ण का बचपन यहीं पर बीता है यहीं पर उन्होंने माखन चोरी किया है.  कालिया नाग का वध किया है  पूतना जैसी राक्षसी का भी वध किया है।  गोकुल की गलियों में आज भी श्री कृष्ण के चंचल रूपों की यादें भरी हुई है यहां जन्माष्टमी का त्यौहार काफी खुशी से मनाया जाता है।  यहां पर दही हांडी की प्रतियोगिता होती है श्री कृष्ण की झांकी निकाली जाती है और भजन कीर्तन में लोग सब कुछ भूल जाते हैं। गोकुल हमें सिखाता है कि जीवन में मासूमियत और प्रेम को बनाए रखना उतना ही जरूरी होता है जितना कि धर्म का पालन करना होता है। 

बरसाना देता है राधा और श्री कृष्ण के प्रेम का संदेश

जन्माष्टमी पर मथुरा और वृंदावन का नाम याद आने से पहले सबको बरसाना की याद आती है। बरसाना वह स्थान है जहां पर राधा रानी का जन्म हुआ था और यहां की गलियों में आज भी राधा और श्री कृष्ण की अमर प्रेम कहानी की झलक दिखाई देती है।  जन्माष्टमी में के मौके पर बरसाना के श्री राधा रानी मंदिर में काफी खूबसूरत सजावट होती है यहां पर फूलों की महक और कीर्तन के रंग में सभी लोग रंग जाते हैं।  बरसाना की गलियों में आज भी जन्माष्टमी के समय ऐसा लगता है की पूरी गलियां जी उठी है। 

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है

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