Janmashtami 2025 Special: भगवान कृष्ण के शत्रु मामा कंस के बारे में तो बच्चे बच्चे को पता है। आप बचपन से ही कंस की कहानियां सुनते आ रहे होंगे लेकिन आज के लेख में इस जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर श्री कृष्ण के 4 और शक्तिशाली शत्रु से कराएँगे जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे। श्री कृष्ण ने अपने जीवन में कई दुष्ट और असुरों का संहार किया, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जो सीधे-सीधे उनका विरोध करते थे। आइए जानते हैं उनके पाँच बड़े शत्रुओं के बारे में
1. मामा कंस
भगवान कृष्ण के जीवन का पहला और सबसे बड़ा शत्रु उनका मामा ‘कंस’ ही था। कंस ने अपनी बहन देवकी यानी श्री कृष्ण की माता के आठवें बच्चे द्वारा मृत्यु की आकाशवाणी सुनी थी। इसके डर से उसने देवकी के सात बच्चों का जन्म लेते ही वध कर दिया। लेकिन जब कृष्ण का जन्म हुआ, तो वसुदेव उन्हें मथुरा की जेल से निकालकर नंद के घर ले गए। बाद में कृष्ण ने कंस के आयोजित एक समारोह में उसका वद्ध कर डाला।
2. जरासंध
कंस के वध के बाद कृष्ण के लिए सबसे बड़ा खतरा जरासंध बन गया। वह राजा बृहद्रथ का पुत्र था और अपने साम्राज्य में अत्यंत शक्तिशाली था। कृष्ण ने भीम और अर्जुन के साथ ब्राह्मण के वेश में जाकर उसे कुश्ती के लिए ललकारा। भीम और जरासंध के बीच 13 दिनों तक युद्ध चला और अंततः कृष्ण की चतुराई से जरासंध को दो टुकड़ों में बांटकर मार गिराया गया।
3. कालयवन
श्री कृष्णा का तीसरा सबसे बड़ा शत्रु कालयवन था। कालयवन ने मथुरा पर आक्रमण किया और कृष्ण ने उसे केवल स्वयं के साथ युद्ध करने का निमंत्रण दिया था। युद्ध के दौरान कृष्ण एक गुफा में छिप गए और कालयवन ने सोते हुए व्यक्ति को कृष्ण समझकर उसे मारने का प्रयास किया। जैसे ही उसने हमला किया, उसके शरीर में आग लग गई और उसकी मृत्यु हो गई।
4. शिशुपाल
शिशुपाल श्री कृष्ण का चौथा सबसे बड़ा दुश्मन था और उसने तीन जन्मों से कृष्ण से वैर कर रखा था। एक यज्ञ के दौरान उसने लगातार कृष्ण का अपमान किया था। कृष्ण ने उसकी गालियों को क्षमा करने का सौवां अवसर पूरा होने तक प्रतीक्षा की और जैसे ही शिशुपाल ने सौवींगाली दी, उन्होंने सुदर्शन चक्र से उसका वद्ध कर डाला।
5. पौंड्रक
राजा पौंड्रक खुद को असली कृष्ण बताता था। श्री कृष्ण का यह शत्रु कुछ ज्यादा ही खतरनाक था। यह एक बहुरुपिया था जो श्री कृष्ण के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े कर रहा था। कहता था असली कृष्ण मैं हूँ, मैं हूँ वासुदेव का पुत्र। उसने स्वयं को कृष्ण बताकर नकली शंख, चक्र और पीतांबर पहन लिया। कृष्ण ने पहले उसका अनदेखा किया, लेकिन बाद में उन्होंने युद्ध में उसे परास्त किया और उसका विनाश कर दिया।
ये ध्यान रखने वाली बात है कि श्रीकृष्ण ने अपने शत्रुओं का संहार हमेशा धर्म और न्याय की रक्षा के लिए किया। यही कारण है कि उनका जीवन आज भी प्रेरणा और विश्वास का प्रतीक है।