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Karwachauth 2025: अगर पहली बार रख रही हैं करवाचौथ का व्रत, तो इन बातों का रखें खास ध्यान

Karvachauth 2025 Ka Mehtav: करवाचौथ हिंदू संस्कृति का एक प्रमुख व्रत है जिसे सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि के लिए करती हैं. यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. दिनभर निर्जल और निराहार रहकर शाम को करवा माता की पूजा की जाती है तथा रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का समापन होता है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और छलनी से चांद और पति का दर्शन करती हैं, जो प्रेम और विश्वास का प्रतीक माना जाता है.

By: Shivi Bajpai | Published: October 3, 2025 11:58:35 AM IST



Karwachauth 2025: करवाचौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है. यह व्रत हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए दिनभर निर्जल व्रत रखती हैं. पहली बार व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए यह अवसर और भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह उनके दांपत्य जीवन की खुशहाली से जुड़ा होता है. ऐसे में व्रत से संबंधित कुछ विशेष बातें हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी है.

व्रत की तैयारी

करवाचौथ का व्रत रखने से एक दिन पहले यानी करवाचौथ की तिथि से पूर्व करवा माता की पूजा की जाती है. व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन हल्का और सात्विक भोजन करें. सुबह सूर्योदय से पहले सरगी खाने की परंपरा होती है. यह सरगी सास द्वारा बहू को दी जाती है और इसमें फल, मिठाई और सूखे मेवे शामिल होते हैं.

व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

निर्जल उपवास: करवाचौथ का व्रत बिना पानी पिए और बिना भोजन किए रखा जाता है. पहली बार रखने वाली महिलाओं को इस दौरान अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

श्रृंगार का महत्व: इस दिन महिलाएं पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं, हाथों में मेहंदी रचाती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं. यह सुहाग की लंबी उम्र और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है.

पूजन विधि: संध्या के समय करवा माता और भगवान शिव-पार्वती की पूजा की जाती है. पूजा में करवा, दीपक, चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए छलनी और मिट्टी या तांबे का पात्र आवश्यक होता है.

कथा श्रवण: व्रत के दौरान करवाचौथ की कथा सुनना या पढ़ना अनिवार्य माना जाता है. इसे सुनने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है.

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चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा

रात को चंद्रमा निकलने के बाद महिलाएं छलनी से चंद्रमा और फिर अपने पति का दर्शन करती हैं. इसके बाद पति के हाथ से जल पीकर और भोजन ग्रहण कर व्रत तोड़ा जाता है. यह परंपरा पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को और अधिक मजबूत करती है.

पहली बार रखने वाली महिलाएं क्या करें और क्या न करें?

व्रत के दौरान ज्यादा शारीरिक परिश्रम से बचें.

किसी भी तरह का विवाद या नकारात्मक विचार न रखें.

पूजा सामग्री पहले से ही तैयार कर लें.

यदि स्वास्थ्य कारणों से परेशानी हो, तो व्रत को लेकर परिवार या बुजुर्गों से सलाह लें.

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