Karwa Chauth Sargi Tradition: करवा चौथ हिंदू विवाहित महिलाओं का सबसे लोकप्रिय और पावन व्रत है. यह त्योहार खासतौर पर उत्तर और पश्चिम भारत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है. इस दिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए सूर्योदय से लेकर चांद निकलने तक निर्जला व्रत रखती हैं. भोजन और पानी से परहेज करते हुए वे पूरे दिन श्रद्धा और समर्पण के साथ व्रत का पालन करती हैं. शाम को चांद देखने के बाद पूजा कर के व्रत खोला जाता है.
करवा चौथ के व्रत की शुरुआत होती है सुबह-सुबह की सर्गी से. यह सरगी बेटी-समान बहू के लिए उसकी सास द्वारा तैयार की जाती है. सास अपनी बहू को न सिर्फ सरगी की थाली देती है, बल्कि इसके साथ नए कपड़े, गहने, श्रृंगार का सामान और अन्य उपहार भी देती है. यह परंपरा केवल भोजन का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि रिश्तों की मिठास और अपनापन बढ़ाने का प्रतीक भी है.
खास होती है सरगी
सरगी की थाली बेहद खास होती है. इसमें ऐसी चीजें शामिल की जाती हैं, जो पूरे दिन व्रत रखने वाली महिला को ऊर्जा और ताकत प्रदान करें. ताजे फल इसमें अनिवार्य रूप से होते हैं, क्योंकि ये शरीर को तरोताजा रखते हैं और दिनभर की थकान से बचाते हैं. साथ ही थाली में विभिन्न प्रकार के सूखे मेवे भी रखे जाते हैं, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा और पोषण देते हैं.
क्या क्या होता है सरगी की थाली में
मिठाइयों का भी इस थाली में खास स्थान होता है. सास अपनी बहू के लिए प्यार से बने लड्डू, मठरी, खीर या हलवा शामिल करती हैं. इनके अलावा गेहूं से बने पराठे या रोटियां भी परंपरागत रूप से सर्गी में दी जाती हैं. प्यास और डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए लस्सी, छाछ या नारियल पानी भी इस थाली में शामिल किया जाता है. साथ ही थोड़ी सी दही या रायता भी दिया जाता है, ताकि पाचन सही रहे.
सरगी-प्यार की थाली
इस तरह करवा चौथ की सरगी सिर्फ भोजन की थाली नहीं, बल्कि प्यार, देखभाल और परंपरा का संगम है. यह बहू और सास के रिश्ते को मजबूत करने के साथ-साथ पूरे परिवार में उत्सव और अपनापन का माहौल बनाती है.