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Karwa Chauth 2025: कब दिखेगा करवा चौथ का चांद? जानें व्रत खोलने का सही समय

Karwa Chauth 2025: सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से माता करवा और भगवान गणेश को समर्पित होता है. तो आइए जानते हैं कि इस करवा चौथ का पर्व किस दिन मनाया जाएगा और इस दिन चांद कब निकलेगा और व्रत का पारण कब किया जाएगा.

By: Shivi Bajpai | Published: October 3, 2025 2:06:53 PM IST



Karwa Chauth 2025 Moonrise Time: करवा चौत का त्योहार भारत में बेहद ही खास माना जाता है. ये व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. इस व्रत का संबंध केवल धार्मिक मान्यताओं से नहीं बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास का प्रतीक माना जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती है. सूर्योदय से चांद निकलने तक महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं. तो चलिए जानते हैं कि करवा चौथ का पर्व किस मनाया जाएगा और चांद निकलने का सही समय क्या है?

करवा चौथ 2025 की तिथि और समय 

द्रिक पंचांग के अनुसार, करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. इस बार ये चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर को रात 10:54 बजे शुरू होगी और 10 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 38 मिनट पर खत्म होगी. उदया तिथि के अनुसार ये व्रत शुक्रवार 10 अक्टूबर को रखा जाएगा.

पूजा का शुभ मुहूर्त 

करवा चौथ का त्योहार 10 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 57 मिनट से 7 बजकर 11 मिनट तक है.

करवा चौथ पर चांद निकलने का सही समय

करवा चौथ का व्रत करने वाली महिलाओं के लिए चांद निकलने का समय सबसे अहम माना जाता है. पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 10 अक्टूबर की रात 8 बजकर 47 मिनट पर चंद्रमा उदित होगा. इसी समय व्रत खोलने और चंद्रमा की पूजा करने का शुभ अवसर रहेगा. 

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करवा चौथ पर किन देवताओं की पूजा की जाती है?

करवा चौथ का व्रत मुख्यतः माता करवा और भगवान गणेश को समर्पित होता है. इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और चंद्र देव की भी पूजा की जाती है. व्रत के अंत में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और परंपरा अनुसार पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोला जाता है. ऐसा माना जाता है कि चंद्र देव की आराधना से दांपत्य जीवन सुखमय होता है और पति को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कई स्थानों पर इस व्रत को करक चतुर्थी भी कहा जाता है.

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