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Kaal Bhairav Jayanti 2025: 12 नवंबर काल भैरव जयंती का पावन पर्व, जानें पूजन विधि और विशेष महत्व

Kaal Bhairav Jayanti 2025: हिंदू धर्म में हर त्योहार और पर्व का अपना विशेष महत्व बताया गया है. काल भैरव जयंती भगवान शिव के उग्र रूप काल भैरव भगवान के प्राकट्य दिवस की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है. जानते हैं साल 2025 में नवंबर माह में किस दिन पड़ रही है काल भैरव जयंती.

By: Tavishi Kalra | Published: November 10, 2025 10:13:14 AM IST



Kaal Bhairav Jayanti 2025 Date: भगवान काल भैरव को शिव जी का उग्र रूप माना जाता है. भगवान कालभैरव को भैरव भी कहा जाता है. भगवान काल भैरव की जयंती हर साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाई जाती है. इस दिन को बेहद खास और शुभ माना जाता है.

कालभैरव जयन्ती का पर्व भगवान कालभैरव के प्राकट्य दिवस की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है. शिवरहस्य के अनुसार भगवान भैरव का आविर्भाव मध्याह्न काल में हुआ था.धर्मग्रन्थों में भगवान कालभैरव को समय और मृत्यु के स्वामी के रूप में बताया गया है. भैरव का शाब्दिक अर्थ ‘भयंकर” या ‘भय को नष्ट करने वाला’ होता है.

कालभैरव जयंती 2025 तिथि 

  • अष्टमी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2025 को रात 11:08 मिनट पर होगी.
  • अष्टमी तिथि समाप्त 12 नवंबर 2025 को रात 10:58 मिनट पर होगी.
  • कालभैरव जयन्ती बुधवार, नवम्बर 12, 2025 को मनाई जाएगी.

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कालभैरव जयन्ती व्रत पूजा विधि (Kaal Bhairav Jayanti 2025 Puja Vidhi)

  • मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को व्रत करना चाहिए.
  • इस दिन व्रत का पालन करते हुये प्रत्येक प्रहर में भगवान भैरव की विधिवत् पूजा-अर्चना की जाती है.
  • भगवान काल भैरव की पूजा के लिए रात्रिकाल को सबसे उपयुक्त माना जाता है.
  • इस दिन भगवान कालभैरव के मंत्रों का जाप करें.

कालाष्टमी का पर्व हर माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी को मासिक कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है. लेकिन मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन भगवान कालभैरव की जयन्ती मनायी जाती है.

काल भैरव जयंती महत्व (Importance)

यह दिन तंत्र साधना करने वालों के लिए भी शुभ माना जाता है. इस दिन भूत, प्रेत, पिशाच और शत्रुओं पर विजय प्राप्ति हेतु भगवान कालभैरव का पूजन किया जाता है. जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक भगवान कालभैरव की पूजा-अर्चना करता है उसके मन में व्याप्त समस्त ज्ञात-अज्ञात भय नष्ट हो जाते हैं.

 भगवान भैरव के आठ भिन्न-भिन्न रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है जिन्हें संयुक्त रूप से अष्ट भैरव कहा जाता है.

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