Home > धर्म > इस Krishna Janmashtami पर रख रहे है व्रत ? तो अपनाए श्री प्रेमानंद जी द्वारा दिए ये नियम और उपाय

इस Krishna Janmashtami पर रख रहे है व्रत ? तो अपनाए श्री प्रेमानंद जी द्वारा दिए ये नियम और उपाय

जन्माष्टमी व्रत नियम और भोग विचार पंडित प्रेमानंद जी के अनुसार : जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व, पूरे भारत में बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन आता है। इस दिन भक्त निर्जला व्रत रखते हैं और रात के 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का उत्सव मनाते हैं। पंडित प्रेमानंद जी के अनुसार जन्माष्टमी व्रत और भोग के नियम बहुत ही सरल हैं, जिससे भक्त न केवल धार्मिक लाभ पाते हैं बल्कि उन्नति भी होती है।

By: Ananya verma | Published: August 13, 2025 11:05:48 PM IST



जन्माष्टमी व्रत नियम और भोग विचार पंडित प्रेमानंद जी के अनुसार : जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व, पूरे भारत में बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन आता है। इस दिन भक्त निर्जला व्रत रखते हैं और रात के 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का उत्सव मनाते हैं। पंडित प्रेमानंद जी के अनुसार जन्माष्टमी व्रत और भोग के नियम बहुत ही सरल हैं, जिससे भक्त न केवल धार्मिक लाभ पाते हैं बल्कि उन्नति भी होती है।

जन्माष्टमी व्रत के है ये कुछ नियम

  • उपवास का समय
    जन्माष्टमी व्रत का मुख्य नियम यह है कि दिन भर निर्जला उपवास रखना चाहिए। इसका अर्थ है कि इस दिन केवल जल का सेवन किया जा सकता है और भोजन से परहेज करना चाहिए। कुछ लोग फल, दूध या पान भी शामिल करते हैं। पंडित प्रेमानंद जी का कहना है कि उपवास करते समय शरीर और मन को शुद्ध रखना चाहिए।
  • स्नान और पवित्रता
    उपवास के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना और घर को साफ-सुथरा रखना आवश्यक है। घर और पूजा स्थल को फूल, रंगोली और दीपक से सजाना चाहिए। यह सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं है, बल्कि मन को भी पवित्र बनाता है।
  • पूजा का समय और विधि
    जन्माष्टमी की पूजा विशेष रूप से मध्यरात्रि में की जाती है, क्योंकि इसी समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। पूजा में भगवान के छोटे बाल स्वरूप की मूर्ति या झूला स्थापित कर उनका श्रृंगार करें। प्रेमानंद जी के अनुसार, पूजा में भजन, कीर्तन और भगवान के नाम का जप करना चाहिए है।  
  • भगवान श्री कृष्ण कि कथा का पाठ
    जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की लीलाओं की कथाएँ सुनना या पढ़ना बहुत ही शुभ माना जाता है। बच्चों और परिवार के सदस्यों के साथ कथा का आयोजन करना चाहिए। यह न केवल धार्मिक शिक्षा देता है बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

जन्माष्टमी के लिए भोग विचार
भोग या प्रसाद भगवान को अर्पित करने का एक विशेष महत्व है। पंडित प्रेमानंद जी के अनुसार जन्माष्टमी भोग में मिठास और सरलता का ध्यान रखें। कुछ प्रमुख भोग विचार इस प्रकार हैं:

  • माखन और दही 
    भगवान कृष्ण को माखन और दही अत्यंत प्रिय हैं। आप माखन, मिश्री और घी से बनी मिठाई जैसे माखनमोहन, खीर या लड्डू बना सकते हैं।
  • फल और नारियल
    व्रती लोग नारियल, केले और अन्य मौसमी फलों को भोग में अर्पित कर सकते हैं। इससे व्रत भी सुगम रहता है और स्वास्थ्य पर भी असर नहीं पड़ता।
  • पोहा और हलवा
    सुबह के समय हल्का-फुल्का भोग जैसे सूखा या भुना हुआ पोहा, सेंधा नमक और घी के साथ अर्पित किया जा सकता है।
  • गुड़ और सिंघाड़े का आटा

          व्रत में विशेष रूप से बनाया जाता है। यह न केवल पौष्टिक होता है बल्कि भगवान को अर्पित करने योग्य भी            माना जाता है।

         प्रेमानंद जी कहते हैं कि भोग में रंगीन और सुगंधित सामग्री का प्रयोग कर सकते हैं जैसे पिसी हुई सूखी                खोपरा, केसर या इलायची। इससे भोग और आकर्षक और भक्तिपूर्ण बन जाता है।की कुर्बानी का भी                    अपमान है।

Advertisement