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Govardhan Parikrama : 7 या 11… कितनी बार करनी चाहिए गोवर्धन परिक्रमा?

Govardhan Parikrama : गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की प्रतिपदा को मनाई जाती है, जिसमें गोबर से गिरिराज की प्रतिमा बनाकर परिक्रमा की जाती है. श्रीकृष्ण को 56 भोग अर्पित कर अन्नकूट पूजा होती है.

By: sanskritij jaipuria | Published: October 15, 2025 3:30:07 PM IST



Govardhan Parikrama : हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को हिन्दू धर्म में गोवर्धन पूजा मनाई जाती है. ये पर्व खासतौर पर भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए समर्पित है. इस साल ये पावन अवसर 2 नवंबर को पड़ रहा है. गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि ये प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा का भी संदेश देती है.

गोवर्धन पूजा पर परिक्रमा की परंपरा

गोवर्धन पूजा के दिन श्रद्धालु गोबर से भगवान गिरिराज की प्रतिमा बनाते हैं. इस प्रतिमा की परिक्रमा करने का विशेष महत्व है. माना जाता है कि गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से जीवन में आने वाली परेशानियां और संकट दूर हो जाते हैं. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, इस दिन कम से कम 11 बार परिक्रमा लगाना शुभ माना गया है. ये परिक्रमा परिवार के साथ मिलकर की जानी चाहिए ताकि सभी सदस्यों पर भगवान की कृपा बनी रहे.

 गोवर्धन पूजा में भगवान श्रीकृष्ण की उपासना

गोवर्धन पूजा केवल पर्वत की ही पूजा नहीं है, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण की भी इस दिन विशेष पूजा की जाती है. श्रीकृष्ण को इस अवसर पर 56 प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं, इसलिए इस पर्व को अन्नकूट भी कहा जाता है. अन्नकूट का अर्थ होता है “अन्न का ढेर,” जो समृद्धि और प्रसन्नता का प्रतीक है. ये पूजा भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा और आभार प्रकट करने का माध्यम है.

 गोवर्धन पूजा का पर्यावरणीय संदेश

गोवर्धन पूजा का एक और महत्वपूर्ण पहलू है इसका पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा संदेश. गोबर से प्रतिमा बनाना और प्राकृतिक सामग्री का उपयोग इस बात की याद दिलाता है कि हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर रहना चाहिए. ये पर्व हमें ये भी सिखाता है कि प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान और संरक्षण करना आवश्यक है.

गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि ये हमें परिवार, प्रकृति और भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करती है.

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