यदि आप भी यह सोचकर उलझन में हैं कि गुरु नानक जयंती कब है, 4 या 5 नवंबर को. तो रुकिए आप बिलकुल सही जगह पर आए हैं. यहाँ हम आपकी सारी शंकाएँ दूर कर सकते हैं. गुरुनानक जयंती कौन से दिन मनाया जाएगा, इस साल की तिथि क्या है, और पर्व से जुड़े प्रमुख मुहूर्त और रीति-रिवाज क्या हैं.
सिख लोग कार्तिक पूर्णिमा का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं, क्योंकि इस तारीख को गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. इस खास मौके पर गुरुद्वारों में भजन, कीर्तन और लंगर का आयोजन किया जाता है. इस दिन नानक देव जी की शिक्षाओं को याद करना चाहिए. इस दौरान गुरुद्वारों में सुबह-सुबह जुलूस निकाले जाते हैं, जिससे खास रौनक रहती है.
गुरु नानक जयंती 2025 तारीख
गुरु नानक जयंती (गुरु नानक जयंती 2025 किस दिन है) हर साल कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है. इस साल, गुरु नानक जयंती 5 नवंबर को मनाई जाएगी.
कार्तिक पूर्णिमा 2025 तारीख और समय
कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर को रात 10:36 बजे शुरू हो रही है और 5 नवंबर को शाम 6:48 बजे खत्म हो रही है.
गुरु नानक देव जी कौन थे?
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 AD में ननकाना साहिब में हुआ था. उनके पिता का नाम मेहता कालू चंद और उनकी माँ का नाम माता त्रिप्ता था. उन्होंने ईश्वर और सामाजिक न्याय का संदेश दिया और सिख धर्म की स्थापना भी की. उन्होंने धर्म का संदेश फैलाने के लिए कई यात्राएँ कीं.
4 या 5 नवंबर? आखिर किस दिन मनाई जाएगी देव दीपावली! जानें सही तिथि, मुहूर्त और महत्त्व
गुरु नानक जयंती का धार्मिक महत्व
सिख धर्म में गुरु नानक जयंती का खास महत्व है. उन्होंने बराबरी, सेवा और प्यार का संदेश दिया. इस खास मौके पर लोग उनकी शिक्षाओं को अपनाने का संकल्प लेते हैं. उन्होंने सामाजिक बुराइयों का विरोध किया और उन्हें खत्म करने की कोशिश की.
गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के तौर पर भी मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन गुरुद्वारों में कीर्तन और लंगर का आयोजन किया जाता है. नगर कीर्तन भी निकाले जाते हैं और लोगों को गुरु नानक देव की शिक्षाओं के बारे में बताया जाता है। इसलिए गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के नाम से जाना जाता है
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई तिथियाँ, मुहूर्त और धार्मिक जानकारी विभिन्न पंचांगों व उपलब्ध स्रोतों पर आधारित हैं. अलग-अलग क्षेत्रों, परंपराओं और स्थानीय मान्यताओं के अनुसार समय में थोड़ा अंतर हो सकता है. पाठकों से अनुरोध है कि अपने नज़दीकी गुरुद्वारे, पुरोहित या स्थानीय पंचांग से भी जानकारी अवश्य पुष्टि कर लें. यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है.