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गोवर्धन पूजा के पीछे का रहस्य: अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है ये पर्व, जानें इसके पीछे की कहानी

इस साल गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसे सिर्फ पूजा ही क्यों नहीं, बल्कि अन्नकूट क्यों कहा जाता है? क्या इस दिन छुपा है कोई खास संदेश या रहस्य?

By: Anuradha Kashyap | Published: October 16, 2025 6:37:14 AM IST



Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो मुख्य रूप से भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत को समर्पित है. इस दिन विशेष रूप से उत्तर भारत में गोवर्धन को पूजा जाता है और उसके सामने ढेरों प्रकार के अनाज और व्यंजन अर्पित किए जाते हैं, इसे अन्नकूट यानी अनाज के ढेर के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि लोगों में भक्ति, सहयोग और नेचर के प्रति कृतज्ञता का संदेश भी देता है. इस अवसर पर घर-घर में तरह – तरह के पकवान बनाकर गोवर्धन की पूजा की जाती है.

क्यों कहा जाता है अन्नकूट ?

गोवर्धन पूजा में अन्नकूट शब्द का अर्थ है “अन्न का ढेर”. इस दिन लोग अलग-अलग अनाज, दालें, सब्जियां और मिठाइयां बनाकर भगवान गोवर्धन को चढ़ाते हैं. यह परंपरा भगवान कृष्ण और गोकुलवासियों के समय से चली आ रही है, जब उन्होंने गांववालों को बारिश और नेचुरल आपदाओं से बचाया. अन्नकूट अर्पित करने का उद्देश्य भगवान की कृपा से भूमि में फल-फूल और अन्न की भरमार बनी रहे.

गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व

गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ी है, जब इन्द्रदेव ने गांववासियों को भारी बारिश से डराया, तब कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर सबको सुरक्षित किया। इस दिन गोवर्धन की पूजा करके लोग भगवान कृष्ण की कृपा और संरक्षण के लिए आभार व्यक्त करते हैं. अन्नकूट की व्यवस्था इसी परंपरा का हिस्सा है, यह पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामूहिक भक्ति और ग्रामीण संस्कृति को जीवित रखने का तरीका भी है.

अन्नकूट की तैयारियाँ

अन्नकूट में हर प्रकार के अनाज, दालें, और विभिन्न व्यंजन शामिल होते हैं, इसमें चावल, गेहूं, मूंग, उड़द, गुड़, हलवा, मिठाई और सब्जियां शामिल की जाती है. हर घर में परिवार मिलकर व्यंजन तैयार करता है और उन्हें सजाकर पूजा स्थल पर रखा जाता है, बच्चों और बुजुर्गों सभी की भागीदारी इस पर्व को खास बनाती है. अन्नकूट को सजाने और उसके व्यंजन तैयार करने की प्रक्रिया में लोगों में सहयोग और आपसी भाईचारे की भावना भी विकसित होती है.

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