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Dussehra 2025: दशहरे पर महिलाएं सुहाग क्यों लेती हैं? जानें इसका क्या है महत्व

Dussehra 2025: इस साल 2 अक्टूबर को दशहरा मनाया जा रहा है. ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इस त्योहार से कई धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं. इन्हीं परंपराओं में से एक है महिलाओं द्वारा सुहाग लेने की परंपरा.

By: Shivi Bajpai | Published: October 2, 2025 9:21:49 AM IST



Dussehra pr suhag: इस वर्ष 2 अक्टूबर को दशहरे का पर्व मनाया जा रहा है. यह उत्सव अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है.इस दिन से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं और लोक परंपराएं भी प्रचलित हैं.इन्हीं में से एक परंपरा है विवाहित महिलाओं द्वारा सुहाग लेने की रस्म, जिसे बेहद शुभ और मंगलकारी माना जाता है.

सुहाग लेने का धार्मिक महत्व

मान्यता है कि दशहरे के दिन देवी दुर्गा धरती से अपने धाम को लौटती हैं. विदाई से पहले सुहागिन महिलाएं माता से अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन की मंगलकामना करती हैं. सुहागिनों से सुहाग सामग्री लेने और देने से सौभाग्य की वृद्धि होती है. यह परंपरा नारी शक्ति और आपसी सौहार्द का प्रतीक मानी जाती है.

लोक परंपरा और विश्वास

गांवों और कस्बों में दशहरे के दिन महिलाएं पास-पड़ोस और रिश्तेदारों के घर जाकर सुहाग सामग्री लेती और देती हैं. इसे शुभ और मंगलकारी माना जाता है. माना जाता है कि इस दिन लिया गया सुहाग पूरे वर्ष के लिए शुभ फल देता है. साथ ही, यह परंपरा आपसी संबंधों को मजबूत करने और महिलाओं के बीच प्रेमभाव बढ़ाने का भी माध्यम है.

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पति की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि

सुहाग लेने की परंपरा का मुख्य उद्देश्य पति की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि की कामना करना है. महिलाएं मानती हैं कि इस दिन सुहाग लेने से दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रहती हैं और जीवनसाथी का साथ लंबे समय तक मिलता है.

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