Dussehra 2025: दशहरा या विजयादशमी हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर धर्म और सत्य की स्थापना की थी। पूरे देश में इस अवसर पर रावण दहन किया जाता है और लोगों को बुराई से दूर रहने तथा सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी जाती है। यह पर्व हमें सिखाता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः जीत सदाचार और धर्म की ही होती है।
दशहरा पर क्यों खाया जाता है पान?
दशहरा के दिन पान खाने की परंपरा बहुत पुरानी है। मान्यता है कि पान का हरा पत्ता समृद्धि, सौभाग्य और नई शुरुआत का प्रतीक होता है। दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है, इसलिए इस दिन पान खाना और खिलाना शुभ माना जाता है। पान को देवी-देवताओं को अर्पित करने का भी विधान है, जिससे इसे खाने से सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस दिन पान खिलाने से आपसी रिश्तों में प्रेम और सम्मान बढ़ता है।
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1. विजय और शुभता का प्रतीक
दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। मान्यता है कि पान खाना और उसे दूसरों को खिलाना विजय और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करने का तरीका है। पान का हरा रंग समृद्धि, खुशहाली और नई शुरुआत का संकेत देता है।
2. देवी-देवताओं को प्रिय
शास्त्रों में पान (नागवल्ली पत्र) का उल्लेख कई धार्मिक अनुष्ठानों में मिलता है। यह देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है। दशहरे पर पान खाने को भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने से जोड़ा जाता है।
3. रिश्तों में मधुरता
दशहरा पर लोग पान खिलाकर आपसी प्रेम और सम्मान व्यक्त करते हैं। पान में लगे कत्था और सुपारी को मिठास और मजबूती का प्रतीक माना जाता है। इसे रिश्तों में मधुरता और मजबूती लाने वाला माना जाता है।
4. स्वास्थ्य से जुड़ी मान्यता
दशहरा के समय मौसम बदलता है। पान में पाए जाने वाले कुछ तत्व पाचन शक्ति को दुरुस्त करने और शरीर में ऊर्जा बनाए रखने में मददगार होते हैं। इसी कारण इसे खाने की परंपरा विकसित हुई।
5. लोक परंपरा और सामाजिक मेलजोल
त्योहारों पर पान खाना सामाजिक मेलजोल का भी हिस्सा है। लोग पान खाकर और खिलाकर आपसी संबंध मजबूत करते हैं। दशहरा पर यह प्रथा “विजय, सम्मान और स्नेह” का प्रतीक बन चुकी है।