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Diwali 2025: दिवाली की रात तांत्रिक क्यों करते हैं में तंत्र-मंत्र की साधना? जानिए इसके पीछे का रहस्य

Diwali 2025: कार्तिक अमावस्या की रात को जहां लोग भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, वहीं तांत्रिक भी देर रात श्मशान जाकर तांत्रिक साधना करते हैं. तांत्रिक विद्या सीख चुके तांत्रिक इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं.

By: Shivashakti Narayan Singh | Last Updated: October 14, 2025 4:41:10 PM IST



Diwali 2025: दिवाली एक ऐसा त्योहार है जिसका साल भर सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है. दिवाली धनतेरस से भाई दूज तक मनाया जाने वाला पांच दिवसीय त्योहार है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दिवाली कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता है कि भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे. अयोध्यावासियों ने अमावस्या की रात दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. कार्तिक अमावस्या की रात को जहां लोग भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, वहीं तांत्रिक भी देर रात श्मशान जाकर तांत्रिक साधना करते हैं. तांत्रिक विद्या सीखने वाले तांत्रिक इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं.

तांत्रिक साधनाएं

दरअसल, हिंदू धर्म में कई प्रकार की विद्याएं और साधनाएं प्रचलित हैं. इन्हीं में से एक है तांत्रिक साधना, जिसे काला जादू भी कहा जाता है. हालाँकि, इसका सनातन धर्म से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि तांत्रिक साधनाएँ किसी कार्य में शीघ्र सफलता पाने या किसी को हानि पहुँचाने के लिए की जाती हैं. तांत्रिक दिवाली की रात को अपनी तांत्रिक साधनाएं करते हैं. आपने अक्सर देखा या सुना होगा कि जादू-टोना या तांत्रिक साधनाएँ दिवाली की रात, गुप्त नवरात्रि या किसी भी शुभ मुहूर्त में की जाती हैं.

वे तांत्रिक साधनाएं क्यों करते हैं?

कार्तिक अमावस्या की रात तांत्रिक श्मशान घाटों पर तांत्रिक अनुष्ठान करते हैं. इस दिन लोग शत्रुओं पर विजय पाने, गृह शांति बनाए रखने और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न जादू-टोने के अनुष्ठान करते हैं. तंत्र विद्या के अनुसार, दिवाली की रात कई चमत्कारी शक्तियां प्राप्त होती हैं. हालांकि, तांत्रिक अनुष्ठान और जादू-टोना करते समय हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि केवल उन्हीं मंत्रों का प्रयोग करें जो लाभकारी और कल्याणकारी हों. किसी को हानि पहुंचाने के लिए किए गए जादू-टोने और टोने-टोटके भले ही कारगर साबित हों, लेकिन ये हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के सारे सुख नष्ट कर देते हैं. हमारी आने वाली पीढ़ियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है.

भूलकर भी न करें ये काम

 देवी सरस्वती सौम्यता और प्रेम की प्रतीक हैं. वे सदैव मानवता का कल्याण करती हैं. इसलिए अमावस्या की इस रात्रि का सदुपयोग करना चाहिए. हमें सनातन धर्म में वर्णित दिव्य, अचूक मंत्रों और टोटकों का अभ्यास करना चाहिए. हमें अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. तंत्र शास्त्र के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की रात्रि में कई चमत्कारी शक्तियाँ प्राप्त होती हैं. हालाँकि, इस साधना के दौरान, भूल से भी किसी को नुकसान पहुंचाना घातक हो सकता है.

Disclaimer : प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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