Gambling on Diwali Tradition: दिवाली का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस दिन लक्ष्मी पूजन के बाद जुआ खेलने की भी परंपरा बरसों से चली आ रही है. पर कई लोगों के मन में सवाल होता है कि दिवाली पर जुआ क्यों खेला जाता है, हालांकि इसका संबंध किसी ग्रंथ से नहीं है. तो आइए जानते हैं कि इसके पीछे कि धार्मिक मान्यता क्या है?
महादेव और माता पार्वती ने इस दिन खेला था चौसर
दीवाली की रात जुआ खेलना इसलिए शुभ माना जाता है क्योंकि कार्तिक मास की अमावस्या को भगवान शिव और माता पार्वती ने चौसर खेला था. इस खेल में भगवान शिव माता पार्वती से हार गए थे. इसलिए दिवाली की रात को जुआ खेलने की परंपरा की शुरूआत हुई.
जुए को लेकर एक धार्मिक मान्यता भी है कि दिवाली की रात को महानिशा की रात भी कहा जाता है और यह रात शुभता से भरपूर होती है. इस रात पूजा के दौरान मां लक्ष्मी का आह्वान किया जाता है. दिवाली के दिन जुआ खेलना हार-जीत का प्रतीक माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस रात जुए में जीतने से साल भर आपकी किस्मत अच्छी रहती है और आपको आर्थिक लाभ हो सकता है.
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दिवाली की रात जुआ खेलना अशुभ क्यों है?
कुछ लोगों का मानना है कि दिवाली की रात जुआ खेलना अशुभ होता है क्योंकि ऐसा करने से घर की सुख-शांति का नाश होता है और साथ ही आर्थिक नुकसान भी हो सकता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत में युधिष्ठिर ने जुआ खेलकर यह ज्ञान दिया था कि ये विनाशकारी आदत है. यह आपको विनाश की ओर ले जा सकती है. इस खेल की वजह से इंसानों को ही नहीं देवताओं को भी परेशानी हुई थी. दिवाली पर जुआ खेलने को लेकर कई मिश्रित तथ्य हैं कि वो अशुभ है या शुभ.