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Diwali 2025: घर में चाहते हैं मां लक्ष्मी का वास तो दीपावली पूजन जरूर लाएं ये शुभ चीजें, वरना अधूरी रह जाती है लक्ष्मी पूजा

Diwali 2025: दिवाली के पावन दिन महालक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है. इस पूजा के साथ-साथ घर और पूजा कक्ष को सजाने के लिए शुभ वस्तुओं का उपयोग किया जाता है. आइए घर की सुंदरता, समृद्धि और दिवाली पूजा के आठ शुभ प्रतीकों के बारे में जानें.

By: Shivashakti Narayan Singh | Published: October 15, 2025 5:05:54 PM IST



Diwali 2025: त्योहारों का मौसम चल रहा है. हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली इसी महीने आ रहा है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे. उनके स्वागत में घी के दीपक जलाए गए थे और उनका भव्य स्वागत किया गया था. इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक भी माना जाता है.दिवाली के अवसर पर लोग अपने घरों में रंग-बिरंगे दीयों की लड़ियाँ और दीये जलाते हैं. आइए घर की सुंदरता, समृद्धि और दिवाली पूजा के आठ शुभ प्रतीकों के बारे में जानें.

दीपक

दिवाली पूजा में दीपकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. केवल मिट्टी के दीपक ही महत्वपूर्ण होते हैं. ये पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं: पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि और वायु. इसलिए, प्रत्येक हिंदू अनुष्ठान में इन पांच तत्वों की उपस्थिति आवश्यक है. कुछ लोग पारंपरिक दीपक जलाने के बजाय मिट्टी के दीये या मोमबत्तियाँ जलाते हैं, जो उचित नहीं है.

रंगोली

त्योहारों और कई शुभ अवसरों पर, घर और आंगन को रंगोली या मांडना से खूबसूरती से सजाया जाता है. यह सजावट समृद्धि के द्वार खोलती है. घर की सफाई के बाद, आंगन, घर के बीचों-बीच और द्वार के सामने रंगोली बनाई जाती है.

कौड़ी

पीली कौड़ी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. दिवाली पर चांदी और तांबे के सिक्कों के साथ-साथ कौड़ियों की पूजा का भी विशेष महत्व माना जाता है. पूजा के बाद, प्रत्येक पीली कौड़ी को अलग-अलग लाल कपड़े में बांधकर अपने घर की तिजोरी या जेब में रखने से धन-समृद्धि में वृद्धि होती है.

तांबे का सिक्का

तांबे में अन्य धातुओं की तुलना में सकारात्मक तरंगें उत्पन्न करने की क्षमता अधिक होती है. कलश से उठने वाली ये तरंगें वातावरण में व्याप्त हो जाती हैं. कलश में तांबे के सिक्के डालने से आपके घर में शांति और समृद्धि के द्वार खुलेंगे. ये उपाय भले ही छोटे लगें, लेकिन इनका प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है.

मंगल कलश

जमीन पर सिंदूर से आठ पंखुड़ियों वाला कमल बनाकर उस पर कलश स्थापित किया जाता है. कांसे, तांबे, चांदी या सोने के कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते रखे जाते हैं और उसके मुख पर एक नारियल रखा जाता है. कलश के गले में सिंदूर और स्वस्तिक चिह्न के साथ एक पवित्र धागा (मौली) बांधा जाता है.

श्रीयंत्र

धन और समृद्धि का प्रतीक लक्ष्मी का श्रीयंत्र सबसे लोकप्रिय प्राचीन यंत्र है. यह धन प्राप्ति के लिए आवश्यक है. यह एक शक्तिशाली यंत्र है जो यश और धन की देवी लक्ष्मी को आकर्षित करता है. दिवाली पर इसकी पूजा अवश्य करनी चाहिए.

पुष्प

कमल और गेंदे के फूल शांति, समृद्धि और मुक्ति के प्रतीक माने जाते हैं. सभी देवी-देवताओं की पूजा के अलावा, गेंदे के फूलों का उपयोग घर की सजावट के लिए भी किया जाता है. ये घर की सुंदरता, शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक हैं.

नैवेद्य

फल, मिठाई, मेवे और मेवों के अलावा, देवी लक्ष्मी को नैवेद्य के रूप में धानी, बताशा, चिरौंजी, गन्ना, गुझिया आदि अर्पित किए जाते हैं. नैवेद्य और मीठे व्यंजन हमारे जीवन में मिठास भर देते हैं.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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