Dhanteras 2025: दीपावली के पर्व का पहला दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है. ये दिन आरोग्य, आयु और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन समु्द्र मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है. धनतेरस के अवसर पर धन के देवता कुबेर, धन की देवी माता लक्ष्मी और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी बड़े विधि-विधान के साथ की जाती है. कुबेर महाराज की पूजा से धन-धान्य बढ़ता है और मृत्यु के देवता की आराधना से मृत्यु से रक्षा होती है. तो आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि के बारे में.
धनतेरस पूजन मुहूर्त
धनतेरस के दिन यानि 18 अक्टूबर को पूजन के लिए शुभ मुहूर्त प्रदोष काल यानी 07 बजकर 16 मिनट से लेकर 08 बजकर 20 मिनट तक है। इस दौरान आप भगवान धन्वंतरि की पूजा-अर्चना कर सकते हैं.
ऐसे करें भगवान धन्वंतरि की पूजा
धनतेरस के दिन प्रदोष काल में भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है. इस दिन आप भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें. आरोग्य की उत्तर-पूर्व दिशा में धन्वंतरि की आराधना करने से आपको उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. दीपोत्सव के इन पांच दिनों में प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी के साथ धन के देवता कुबेर और देवी लक्ष्मी की पूजा करने का भी विधान है. दीपक रखने से पूर्व खील या चावल रखकर ऊपर दीपक जलाएं. अब एक कलश में शुद्ध जल लेकर सभी देवताओं को आचमन कराएं और फिर रोली, कुमकुम, हल्दी,अक्षत, पान, पुष्प, मिठाई, फल, दक्षिणा को अर्पित करें.
परिवार में दीर्घायु और आरोग्यता बनी रहे इसके लिए पूजा के दौरान ‘ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः’ मंत्र का उच्चारण करते रहें. आयुर्वेद के अनुसार भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आपको आरोग्य की प्राप्ति होती है.
ऐसे करें धन के देवता कुबेर की पूजा
धन के देवता कुबेर को आसुरी शक्तियों का हरण करने वाला देवता माना गया है. इस दिन सांयकाल में उत्तर दिशा में कुबेर यंत्र को स्थापित करके गंगाजल छिड़के फिर रोली, अक्षत से तिलक करें, पुष्प चढ़ाएं और दीप जलाकर भोग लगाएं.
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये।
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
इस मंत्र का जाप करने के बाद कुबेर महाराज की आरती करें और सुख-समृद्धि की कामना करें.
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भगवान यमराज की करें पूजा
वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है. धनतेरस के दिन प्रदोषकाल में घर के मुख्य द्वारा पर यमदेव का स्मरण करके दक्षिणमुख होकर अन्न की ढेरी पर तेल का चारमुखी दीपक जलाना चाहिए. ये दीपक मृत्यु के देवता यमराज के लिए जलाया जाता है जिससे अकाल मृत्यु का खतरा कम हो जाता है.
माता लक्ष्मी की कैसे करें पूजा
मां लक्ष्मी को धन की देवी की उपाधि दी गई है. धनतेरस के दिन कलश की स्थापना करें. फिर इसके बाद चौकी पर मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि, कुबेर और गणेश भगवान की तस्वीर रखकर. हल्दी,चंदन, कुमकुम, फूल, माला, अक्षत, धूपबत्ती, दीपक और मिठाई से भोग लगाएं.

