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Dhanteras 2025 पर यम दीपदान का महत्व, जानें क्यों जलाया जाता है यमराज के नाम का दीपक

Dhanteras Yam Deep Daan: धनतेरस की शाम यमराज के नाम दीपक जलाने की परंपरा का बड़ा महत्व है. जानिए क्यों किया जाता है यम दीपदान, कब और कितने दीप जलाने चाहिए ताकि घर में सुख-शांति बनी रहे.

By: Shraddha Pandey | Published: October 18, 2025 6:31:41 AM IST



Dhanteras Puja: धनतेरस (Dhanteras) का त्योहार दीपावली (Deepawali) से दो दिन पहले मनाया जाता है. यह दिन सिर्फ खरीदारी या लक्ष्मी पूजन (Laxmi Pujan) के लिए ही खास नहीं होता, बल्कि इस दिन एक और बेहद महत्वपूर्ण परंपरा निभाई जाती है, यम दीपदान (Yam Deep Daan) की. मान्यता है कि धनतेरस की शाम को यमराज के नाम पर दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.

पुराणों के अनुसार, इस दिन यमराज को प्रसन्न करने के लिए घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह दीपक मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित होता है और इससे घर के सदस्यों की आयु बढ़ती है. यह परंपरा “दीपदान” के रूप में जानी जाती है, जिसमें श्रद्धा और विश्वास का खास महत्व होता है.

क्यों किया जाता है यम दीपदान?

एक कथा के अनुसार, राजा हिम की पत्नी ने अपने पुत्र की मृत्यु की भविष्यवाणी सुनने के बाद उपाय के रूप में धनतेरस की रात घर के द्वार पर अनगिनत दीपक जलाए और सोने-चांदी के गहनों का ढेर लगा दिया. जब यमराज वहां पहुंचे, तो दीपों की रोशनी और धन की चमक से वे पुत्र को नहीं देख पाए और बिना कुछ कहे लौट गए. तभी से यह परंपरा चल पड़ी कि धनतेरस की रात यमराज के नाम का दीपक जलाना शुभ होता है.

कितने दीप जलाए जाते हैं?

धनतेरस की शाम चार या तेरह दीपक जलाने की परंपरा है।

• एक दीपक घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर यमराज के नाम से जलाया जाता है.

• बाकी दीपक तुलसी, रसोई, पूजास्थल और घर के हर कोने में जलाए जाते हैं ताकि समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे.

शुभ मुहूर्त और विधि

सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में यम दीपदान करना सबसे शुभ माना गया है. दीपक में तिल का तेल डालें और उसमें चार बत्तियां रखें. फिर “ॐ यमाय नमः” का जाप करते हुए दीपक जलाएं. धनतेरस का यम दीपदान केवल एक रस्म नहीं, बल्कि अपने परिवार की दीर्घायु और समृद्धि की मंगलकामना का प्रतीक है.

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