Home > धर्म > chhath puja 2025: नहाय खाय के साथ कल से होगा ‘महापर्व’ का आरंभ, छठ पूजा के पहले दिन क्यों खाते हैं लौकी-भात?

chhath puja 2025: नहाय खाय के साथ कल से होगा ‘महापर्व’ का आरंभ, छठ पूजा के पहले दिन क्यों खाते हैं लौकी-भात?

chhath puja News: छठ पूजा सादगी और शुद्धता का पर्व है. इस पर्व में दिखावा और भव्य भोज नहीं किया जाता है. इस त्योहार के लिए श्रद्धा, अनुशासन और सच्ची भक्ति की जरुरत होती है. तीन दिनों के इस महापर्व की शुरुआत नहाय खाए के साथ होती है.

By: Preeti Rajput | Published: October 24, 2025 1:30:50 PM IST



Chhath puja 2025 : द‍िवाली के बाद छठ पर्व की शुरुआत होती है. चार द‍िनों तक चलने वाले इस पर्व में महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. इस व्रत में सूर्य देव और छठी मइया का महत्व होता है. बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ पूजा का काफी ज्यादा महत्व है. छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय का शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 को पड़ेगा. चंद्र कैलेंडर के अनुसार, यह कार्तिक मास की शुक्ल चतुर्थी से मेल खाता है. यह दिन छठ की शुरुआत का प्रतीक है और शुद्धिकरण, तैयारी और भक्ति का प्रतीक है.

नहाय खाय क्या है? 

नहाय खाय का शाब्दिक अर्थ है “स्नान और भोजन”. इस दिन, भक्त नदी, तालाब या अन्य स्वच्छ जलस्रोत में अनुष्ठानिक स्नान करते हैं और फिर आगे आने वाले व्रत की तैयारी में पहला शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं.

नहाय खाय 2025 पारंपरिक भोजन

सुबह-सुबह स्नान के बाद, रसोई को ‘पूजा के लिए तैयार’ किया जाता है. बर्तन अच्छी तरह से साफ किए जाते हैं. एक साधारण सात्विक भोजन तैयार किया जाता है: चावल , चना दाल, कद्दू या उबली हुई सब्ज़ी तैयार की जाती है. भोजन के बाद, उपवास की शुरुआत आध्यात्मिक रूप से होती है. हालांकि बाद के दिनों में बड़े प्रसाद और भेंट दी जाती हैं, इस दिन भोजन, स्थान और मन की शुद्धता पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. परिवार अक्सर इकट्ठा होते हैं, बच्चे भी इस अनुष्ठान में शामिल हो सकते हैं, और यह व्रत की पूरी तीव्रता के बजाय तैयारी और शुद्धि का भाव होता है. यह साधारण लेकिन सार्थक भोजन आगे आने वाले बड़े व्रत और भेंट का बीज बन जाता है.  छठ पूजा में लौकी भात का बहुत महत्व दिया गया है क्योंकि ये शरीर को हल्का और मन को शांत रखता है.

Chhath Puja 2025 : आखिर क्यों नाक तक सिंदुर लगाती है महिलाएं, क्या है इसके पीछे की वजह?

नहाय खाय का आध्यतमिक महत्व

  • यह व्रत भक्तिमय वातावरण में कदम रखने के एक सचेत निर्णय का प्रतीक है.
  • स्नान और शुद्ध भोजन करने से, व्यक्ति प्रतीकात्मक रूप से मन और शरीर को शुद्ध करता है.
  • यह पर्व सभी लोगों को प्रकृति से जोड़ता है. 
  • इस व्रत को लोग पूरे मन के साथ संपन्न करते हैं. 
  • इस व्रत में उगते और डूबते सूर्य का काफी ज्यादा महत्व होता है.  

Chhath Puja 2025: पहली बार रख रही हैं छठ का व्रत, इन जरूरी बातों का रखें ध्यान, करें नियमों का पालन

Advertisement