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Chhath Puja 2025: छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूरज को क्यों चढ़ाया जाता है अर्घ्य, जानें इसके पीछे की वजह

Chhath Puja 2025 Day 3: छठ पूजा का तीसरा दिन आज यानी की 27 अक्टूबर 2025 को है. इस दिन महिलाएं सूर्य देवता को संध्या अर्घ्य देती हैं. इस दिन महिलाएं पवित्र नदी में डुबकी लगाती है. सूर्य और छठी मैय्या की अराधना करती हैं. तो आइए जानते हैं कि इस दिन का क्या महत्व है?

By: Shivi Bajpai | Published: October 27, 2025 5:09:18 AM IST



Chhath Puja 2025: छठ पूजा का दिन संध्या अर्घ्य के लिए जाना जाता है. इस दिन महिलाएं पवित्र नदियों और किसी कुंड में डुबकी लगाती हैं. इस बार ये आस्था के महापर्व की शुरूआत 25 अक्टूबर से हो गई थी और इसकी समाप्ति 28 अक्टूबर को होगी. कल यानी की 27 अक्टूबर को छठ पूजा का तीसरा दिन है, इस दिन शाम के समय महिलाएं नदी या कुंड में जाकर सूर्य को अर्घ्य देती है.

संध्या अर्घ्य का दिन छठ पूजा का सबसे पवित्र दिन होता है. इस दिन व्रती महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य देव अपनी कृपा बरसाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

संध्या अर्घ्य की पूजा विधि 

  • इस दिन प्रात:काल उठाकर स्नान करने के बाद मुठ्ठी में जल लेकर व्रत का संकल्प करें.
  • पूरे दिन निर्जला व्रत का पालन करें और शाम के समय नदी या तालाब में स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनकर सूर्य को अर्घ्य दें
  • संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए बांस की बड़ी टोकरी या 3 सूप लें और उसमें चावल, दीया, सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सब्जी और अन्य सामग्री को रखें
  • सभी पूजन सामग्रियों को टोकरी में सजा लें और सूर्य को अर्घ्य देते समय सारी चीज़ें सूप में रखें
  • पूजन के समय दीपक जलाएं
  • छठ का डाला सजाकर नदी या कुंड में प्रवेश करके सूर्य देव की पूजा करें और छठी मैया को प्रणाम करके सूर्य देव को अर्घ्य दें.
  • सप्तक (सात चक्र) का ध्यान: इस दौरान व्रती मन में अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना करें.

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संध्या अर्घ्य का भोग

संध्या अर्घ्य के दिन भोग में मुख्य रूप से फल, ठेकुआ, दूध और जल शामिल होता है. फल जैसे केला, अंगूर, सेब आदि को भोग में शामिल किया जाता है. ठेकुआ एक विशेष प्रकार का मिठाई है जो छठ पूजा के लिए बनाया जाता है. संध्या अर्घ्य के दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर पूजा करते हैं जो परिवार की एकता का प्रतीक है.

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(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इनखबर इस बात की पुष्टि नहीं करता है)

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