Chandra Grahan 2025: चंद्र ग्रहण इस साल पूरे देश में 7 सितंबर रविवार के दिन लगने वाला है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं और सभी तरह के धार्मिक कार्यक्रम भी नहीं किए जाते हैं।
रविवार 7 सितंबर को साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा जिसे भारत में कई जगह पर देखा जा सकता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार चंद्र ग्रहण एक अशुभ घटना है। इस दौरान पूजा-पाठ करना वर्जित होता है और मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। चंद्र ग्रहण में 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है जिस दौरान मंदिर के कपाट बंद रहते हैं और किसी भी तरह का धार्मिक कार्य नहीं होता है। तो आइए जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है।
चंद्र ग्रहण के दौरान क्यों बंद रहते हैं मंदिर के कपाट
चंद्र ग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट इसलिए बंद रहते हैं क्योंकि ये समय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि ग्रहण के दौरान वातावरण में अशुद्ध और नकारात्मक ऊर्जा फैलती है। इससे मूर्तियों पर भी प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण का समय ‘सूतक काल’ कहलाता है। इसे शुद्धि और पवित्रता के लिहाज़ से अनुकूल नहीं माना जाता। इसलिए मंदिर में पूजा-पाठ और देवदर्शन स्थगित कर दिए जाते हैं। किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्य जैसे हवन और पूजा-पाठ प्रतिबंधित होता है क्योंकि इस दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जिसकी वजह से ही किसी भी तरह का शुभ कार्य करना इस दौरान मना होता है।
पारंपरिक रूप से ग्रहण काल को साधना का समय माना गया है. इस दौरान आप भगवान के मंत्रों का जप कर सकते हैं जिससे आपके मन को शांति मिलेगी और नकारात्मकता भी कम होगी. यही वजह है कि इस दौरान मंदिरों में पूजा-पाठ रोक दिए जाते हैं और मंदिरों के कपाट को भी बंद कर दिया जाता है.