Ahoi Ashtami Significance: अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami), जिसे अहोई आठे भी कहा जाता है, उत्तर भारत का एक बेहद पावन व्रत है. यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं. पहले यह व्रत केवल पुत्रों के लिए किया जाता था, लेकिन आधुनिक समय में माताएं बेटियों के लिए भी समान श्रद्धा और भक्ति से यह व्रत करती हैं.
कब है अहोई अष्टमी 2025?
• तारीख: सोमवार, 13 अक्टूबर 2025
• अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त: शाम 06:07 से 07:19 बजे तक
• तारे देखने का समय: शाम 06:28 बजे
• चंद्र उदय: रात 12:09 बजे (14 अक्टूबर)
व्रत की परंपरा और नियम
इस दिन माताएं सुबह स्नान कर संकल्प लेती हैं और दिनभर कठोर उपवास करती हैं. कई माताएं जल तक ग्रहण नहीं करतीं और संध्या समय तारे निकलने के बाद व्रत खोलती हैं. कुछ स्थानों पर परंपरा अनुसार चंद्रमा निकलने के बाद व्रत तोड़ा जाता है, लेकिन देर रात चंद्र उदय होने की वजह से ज़्यादातर माताएं तारों के दर्शन के बाद ही व्रत पूर्ण करती हैं.
अहोई माता की पूजा कैसे करें?
• सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई और स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें.
• चौकी पर अहोई माता और बच्चों की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
• पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:07 से 7:19 बजे तक है, इस दौरान कथा सुनें और माता का आह्वान करें.
• व्रत समाप्ति पर तारों को देखकर अर्घ्य दें और परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करें.
• कुछ परिवारों में गोवर्धन स्नान या राधा कुंड स्नान की परंपरा भी निभाई जाती है.
व्रत का महत्व
अहोई अष्टमी सिर्फ़ एक परंपरा नहीं बल्कि मां के निस्वार्थ प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. यह व्रत संतान की रक्षा, स्वास्थ्य और आयु वृद्धि का आशीर्वाद दिलाने वाला माना जाता है. विश्वास है कि अहोई माता की पूजा और सच्चे मन से रखा गया व्रत संतान के जीवन में सुख, समृद्धि और लंबी उम्र लेकर आता है.