Nag Panchami Shubh Muhurat: श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है और हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि आज 28 जुलाई की रात 11 बजकर 25 मिनट पर से शुरू होने जा रही है, जो 29 जुलाई मंगलवार को रात 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी, लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार नाग पंचमी की पूजा दिन में की जाती है, इसलिए नाग पंचमी का त्योहार 29 जुलाई को मनाया जायेगा। तो चलिए जानते है नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त और नागदेवता के खास मंत्र के बारे में।
नाग पंचमी पर करे शिव जी के साथ नाग देवता की पूजा (On Nag Panchami, Worship The Snake God Along With Lord Shiva)
हिंदू धर्म में नाग पंचमी के त्योहार का बेहद महत्व है, इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और नाग देवता का संबंध भगवान भगवान शिव जी (Shiv Ji) से जुड़ा है, ऐसे में भगवान शिव के सबसे प्रिय महीने में भगवान शिव के साथ नाग देवता की पूजा करना बेहद शुभ होता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति नागपंचमी के दिन शिव जी के साथ नागों की पूजा करता है उसका कालसर्प दोष, सर्प भय और सर्पदंश जैसी सभी परेशानी खत्म हो जाती है और उस व्यक्ती पर धन की वर्षा होती है।
नागपंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त (Nag Panchami Shubh Muhurat)
नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा का शुभ मुहूर्त 29 जुलाई, मंगलवार को सुबह 5 बजकर 41 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। नागपंचमी के इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से नाग देवता खुश होंगे और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी, साथ ही सर्पदंश का भय भी दूर होगा.
नागपंचमी पर नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए खास मंत्र (Special mantra to please the snake god on Nag Panchami 2025)
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्.
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्.
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः.
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
इस मंत्र का अर्थ है:- अनंत, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कम्बल, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक और कालिया, ये नौ महान नागों के नाम हैं।
जो व्यक्ति सुबह और शाम इन नामों का पाठ करता है, उसे सर्प विष का भय नहीं रहता और वह हर जगह विजयी होता है।
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले.
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः.
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥
यह मंत्र नागों (साँपों) को समर्पित है और इसका अर्थ है: “पृथ्वी पर रहने वाले, सूर्य की किरणों में रहने वाले, आकाश में रहने वाले, नदियों में रहने वाले, और तालाबों, कुओं में रहने वाले सभी नाग प्रसन्न हों, उन सभी को नमस्कार है।”
नाग पंचमी पर पूजा विधि (Nag Panchami Puja Vidhi)
नागपंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद गाय के गोबर से नाग की आकृति बनाते हुए नाग देवता का आह्वान करेना चाहिए। इसके अलावा नाग पंचमी के दिन व्रत रखने का भी महत्व है, अगर आप इस दिन व्रत रखते है, तो नाग दिवता की पूजा करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। साथ ही पूजा करते हुए नाग देवता को फूल, मेवा, अबीर, मेहंदी, गुलाल, और दूध अर्पित करना चाहिए और दीपक जलाकर आरती करनी चाहिए।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।