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रोशनी के त्योहार पर अंधविश्वास का अंधकार, उल्लुओं पर मंडराता संकट

दिवाली के त्योहार पर उल्लुओं (Owl) की अवैध तस्करी (Illegal Smuggling) और बलि (Sacrifice) बढ़ जाती है, जो एक क्रूर और गलत प्रथा है. अंधविश्वास (Superstition) और तांत्रिक अनुष्ठानों (Tantrci Ritual) के चलते लोग उल्लुओं का शिकार करते हैं.

By: DARSHNA DEEP | Published: October 17, 2025 1:38:05 PM IST



Owl and Superstition: यह तो हर कोई जानता है कि दिवाली का त्योहार खुशियों और रोशनी का पावन पर्व है. जगमगाते घर, धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के साथ-साथ एक दूसरे को मिठाइयां बांटी जाती है. यह समय जीवन में सुख और आनंद का संचार करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं, इसी उल्लास भरे माहौल में एक क्रूर और गलत प्रथा काफी सालों से चलती आ रही है. जिससे एक मासूम पक्षी, उल्लू का जीवन खतरे पर पड़ जाता है. अंधविश्वास और तांत्रिक अनुष्ठानों  की वजह से दिवाली के आसपास उल्लुओं की अवैध तस्करी भी तेज़ी से बढ़ जाती है. 

माता लक्ष्मी की सवारी है उल्लू: 

वैसे तो उल्लू को माता लक्ष्मी की सवारी भी माना जाता है, फिर भी कुछ लोग धन-समृद्धि की लालच में आकर इनका शिकार करने में जुट जाते हैं. महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य के मुताबिक, उल्लू की बलि देना किसी भी शास्त्र या धर्म का हिस्सा नहीं है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जीवों की हत्या करना धर्म के अनुसार घोर पाप माना जाता है. 

उल्लू के मांस का विद्या में होता है इस्तेमाल:

ऐसा कहा जाता है कि कुछ तांत्रिक उल्लू के मांस, नाखून, आंख और पंखों का उपयोग अपनी विद्या में इसका इस्तेमाल करते हैं, जिसे लोग दुकान या ऑफिस पर चिपकाने का काम करते हैं. जानकारी के मुताबिक, यह सब अंधविश्वास और एक तरह की गलत प्रथाएं हैं, जिनका वास्तविक शास्त्रीय के साथ किसी तरह का कोई आधार नहीं है. 

प्रत्येक जीव को धरती पर जीने का है अधिकार: 

इस धरती पर प्रत्येक जीव को जीने का पूरी तरह से अधिकार है. कोई भी धर्म या ग्रंथ किसी जीव की हत्या करने या फिर उसे चोट पहुंचाने की किसी प्रकार की कोई अनुमति नहीं देता है. उल्लू या किसी अन्य जीव की बलि देना, उनकी आंखें निकालना या उन्हें नुकसान पहुंचाना पूरी तरह अवैध है. 

अगर आप दिवाली पर माता लक्ष्मी की सच्चे मन से पूजा करते हैं तो  धन आप तक स्वयं आएगा. अंधविश्वास और क्रूर प्रथाओं से बचकर, इस त्योहार को खुशियों, नैतिकता और दया के साथ मनाने में हम सभी की भलाई है. 

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