मुगल साम्राज्य की बात हो और शाही परिवार का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. इतिहास में कई मुगल शहजादियों के नाम सामने आते हैं, जिन्होंने दरबार और समाज में अहम भूमिका निभाई. इन्हीं में एक नाम है जहांआरा बेगम का – जो बादशाह शाहजहां की सबसे बड़ी बेटी और औरंगजेब की बहन थीं. जहांआरा न सिर्फ शाही खून से थीं, बल्कि उन्होंने अपने जीवन में कई ऊंचाइयां भी देखीं. हालांकि, उनका निजी जीवन कुछ ऐसे पहलुओं से भी जुड़ा रहा जो चर्चा और आलोचना का कारण बनते गए.
जहांआरा बेगम का जन्म साल 1614 में हुआ था. उनकी मां मुमताज महल थीं, जिनके नाम पर प्रसिद्ध ‘ताजमहल’ बना. अपने पिता शाहजहां की सबसे बड़ी संतान होने के कारण उन्हें खास दर्जा मिला. शाहजहां ने उन्हें ‘पादशाह बेगम’ की उपाधि दी थी, जो शाही महिलाओं में सबसे ऊंचा स्थान माना जाता था. इस पदवी के चलते वे मुगल दरबार में फैसलों और नीतियों में भाग लेती थीं.
एक आदत जो बदनामी बनी
इतिहासकारों के अनुसार, जहांआरा बेगम शराब की लत से ग्रस्त थीं. कहा जाता है कि उन्हें शराब इतना पसंद थी कि उनके लिए विदेशों से विशेष शराब मंगाई जाती थी. उस समय विदेशी शराब बहुत कीमती और मुश्किल से मिलने वाली चीज थी. लेकिन शाही खजाने से इसकी व्यवस्था की जाती थी ताकि जहांआरा को किसी चीज की कमी न हो.
शाही महिलाओं में अनोखी कहानी
मुगल इतिहास में जहांगीर जैसे बादशाहों के शराब और अफीम के शौक का जिक्र मिलता है, लेकिन शाही महिलाओं में जहांआरा का नाम इस कारण अलग नजर आता है. आमतौर पर महिलाओं की आदतों को कम ही लिखा गया, लेकिन जहांआरा की शराब की लत इतिहास में दर्ज हो गई.
जहांआरा बेगम का जीवन एक मिसाल भी है और एक सीख भी. उन्होंने एक ओर दरबार में अपनी पहचान बनाई, वहीं दूसरी ओर उनकी कुछ कमजोरियों ने उन्हें विवादों में घसीटा. उनका जीवन दिखाता है कि शाही चमक के पीछे भी इंसानी कमजोरियां होती हैं.