Home > अजब गजब न्यूज > 55000 साल बाद बाहरी दुनिया से मिली ये जनजातियां! आज भी पेड़ों पर बनाती हैं घर

55000 साल बाद बाहरी दुनिया से मिली ये जनजातियां! आज भी पेड़ों पर बनाती हैं घर

Korowai Tribe: कोरोवाई जनजाति इंडोनेशिया के पापुआ जंगलों में रहती है और पेड़ों पर घर बनाकर जीवन गुजारती है. यह जनजाति आज भी आधुनिक दुनिया से दूर है.

By: Mohammad Nematullah | Published: October 14, 2025 10:29:58 PM IST



Korowai tribe: इंडोनेशिया के पापुआ प्रांत के घने और रहस्यमयी जंगलों में एक ऐसी जनजाति रहती है जिसने अपनी अनोखी जीवनशैली से दुनिया को हैरान कर रखा है. इस जनजाति को कोरोवाई कहते है. ये लोग जमीन पर नही बल्कि ऊंचे पेड़ पर अपने घर बनाते है. इनके ‘ट्री हाउस’ लगभग 10 से 50 मीटर ऊंचे होते हैं और मजबूत पेड़ की शाखा पर टिके होते है. इन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी फिल्म का कोई दृश्य हो.

क्यों ये लोग ऐसे रहते है

कोरोवाई जनजाति सिर्फ़ दिखावे के लिए पेड़ पर नही रहती. इसके पीछे एक मजबूत कारण है. ऐतिहासिक रूप से उन्हें दुश्मन जनजातियों से कई खतरों का सामना करना पड़ा है. जमीन के ऊपर बने ये घर उन्हें ऐसे हमले से बचाते है. इसके अलावा ये जंगल में जंगली जानवरो से भी उनकी रक्षा करते है. यह तरीका सालो से कारगर रहा है और अब एक परंपरा बन गया है.

कोरोवाई जनजाति उन गिने-चुने समुदाय में से एक है जो आधुनिक दुनिया से काफी हद तक अलग-थलग है. 1970 के दशक तक दुनिया को उनके अस्तित्व के बारे में कुछ भी पता नहीं था. कुछ कोरोवाई लोग तो यह भी मानते थे कि वे ही धरती पर अकेले इंसान है. आज भी इस जनजाति के कुछ समूह ऐसे हैं जिन्होंने कभी किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं देखा.

कोरोवाई जनजाति क्या खाते है

कोरोवाई जनजाति पूरी तरह से जंगल पर निर्भर है. वे न तो शहरों में रहते हैं और न ही बाजार से सामान खरीदता है. वे मछली पकड़ते है. शिकार करते हैं और जंगल से भोजन इकट्ठा करते है. उनके लिए जंगल सिर्फ़ एक जगह नहीं बल्कि उनका घर है. उनका जीवन है. कोरोवाई जनजाति हमें सिखाती है कि मनुष्य अपने परिवेश के साथ कैसे तालमेल बिठा सकते है. जहां हम तकनीक पर तेज़ी से निर्भर होते जा रहे है. वहीं ये लोग प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाते हुए एक सादा लेकिन सुरक्षित जीवन जीते है. यह जनजाति अपनी जीवनशैली और जीवन के प्रति दृष्टिकोण के माध्यम से दुनिया को एक नया नजरिया प्रदान करती है.

यह जनजाति आधुनिक दुनिया से अलग-थलग है और पूरी तरह से जंगल पर निर्भर है. इस जनजाति को दूसरे लोगों या यूं कहें कि इंसानों से मिले हुए 55,000 साल हो गए है.

Advertisement