Navratri 2025 Food : नवरात्रि के दौरान व्रत में इस्तेमाल होने वाले कुट्टू के आटे को लेकर दिल्ली और मेरठ से चिंताजनक खबरें सामने आई हैं. राजधानी दिल्ली के कई इलाकों- जैसे जहांगीरपुरी, महेंद्र पार्क, भलस्वा डेयरी, स्वरूप नगर, समयपुर और लाल बाग में लगभग 150 से 200 लोग बीमार पड़ गए. वहीं, उत्तर प्रदेश के मेरठ में भी करीब 150 लोग इसी वजह से अस्पताल पहुंचे.
अस्पतालों में पहुंचे मरीजों को उल्टी, बेचैनी और पेट दर्द जैसी शिकायतें थीं. हालांकि, राहत की बात ये रही कि सभी मरीजों की हालत स्थिर बताई जा रही है. दिल्ली पुलिस ने मामले की जानकारी मिलने के बाद तुरंत खाद्य विभाग को सूचित किया है और जांच जारी है.
क्या फूड पॉइजनिंग है इसकी वजह?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अधिकतर लोगों ने व्रत के दौरान कुट्टू के आटे से बनी पूड़ी, पकौड़ी या हलवा खाया था. शुरुआती अनुमान है कि आटे में मिलावट या खराब क्वालिटी के कारण फूड पॉइजनिंग हुई हो सकती है. ये पहला मौका नहीं है जब नवरात्रि के दौरान कुट्टू के आटे से जुड़ी बीमारी की खबरें आई हों, हर साल इस वक्त ऐसे मामले सामने आते हैं.
तो सवाल उठता है, आखिर ये कुट्टू का आटा है क्या? क्यों इसे व्रत में खाया जाता है और कैसे ये कभी-कभी जहरीला बन सकता है?
कुट्टू का आटा
कुट्टू के आटे को अंग्रेजी में Buckwheat Flour कहा जाता है. नाम में “व्हीट” यानी गेहूं होने के बावजूद ये गेहूं नहीं है. ये वास्तव में एक फल है और इसका साइंटिफिक नाम Fagopyrum Esculentum है. भारत में इसे टाऊ, ओगला, ब्रेश, या फाफड़ा जैसे नामों से भी जाना जाता है.
कुट्टू के बीजों को सुखाकर पीसा जाता है और यही आटा व्रत के समय पूड़ी, पकौड़ी, चीला और हलवा बनाने में इस्तेमाल होता है.
क्यों कहा जाता है सुपरफूड?
कुट्टू को अक्सर एक “सुपरफूड” माना जाता है क्योंकि ये कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है.
प्रोटीन: प्रति 100 ग्राम में लगभग 15 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है.
फाइबर और कार्बोहाइड्रेट: इसमें घुलनशील और अघुलनशील फाइबर दोनों होते हैं, जो पाचन के लिए फायदेमंद होते हैं.
अल्फा-लिनोलेनिक एसिड: ये दिल की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है और खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है.
लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स: डायबिटीज के रोगियों के लिए भी ये एक बेहतर विकल्प है.
एक अध्ययन के अनुसार, कुट्टू का सेवन पित्त की पथरी के जोखिम को भी कम कर सकता है.
कब और कैसे खराब हो जाता है कुट्टू का आटा?
कुट्टू के आटे की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है. आमतौर पर ये 1 से 1.5 महीने में खराब हो सकता है, खासकर अगर सही तरीके से स्टोर न किया जाए.
खराब या मिलावटी कुट्टू के आटे के लक्षण:
असली कुट्टू का आटा हल्के भूरे रंग का होता है.
अगर इसमें गेहूं या अन्य चीजों की मिलावट हो, तो इसका रंग बदल सकता है.
शुद्ध आटा आसानी से गूंथ जाता है, जबकि मिलावटी आटा बिखरने लगता है.
एक्सपायरी के बाद इसका सेवन करने से फूड पॉइजनिंग, उल्टी-दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
भारत में कहां होती है इसकी खेती?
भारत में कुट्टू की खेती मुख्य रूप से हिमालयी और पहाड़ी इलाकों में की जाती है.
राज्य: जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड
दक्षिण भारत: नीलगिरी की पहाड़ियां
पूर्वोत्तर भारत: अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर आदि
ये फसल बहुत कम समय में करीब 30-35 दिनों में तैयार हो जाती है. 80% पकने पर फसल काट ली जाती है, बीज अलग कर सुखाए जाते हैं और फिर इन्हें पीसकर आटा बनाया जाता है.