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Indian Navy Day: भारतीय नौसेना का जनक किसे कहा जाता है? जानें इनकी उपलब्धियों के बारे में

Indian Navy Day: छत्रपति शिवाजी ने व्यापार मार्गों को सुरक्षित करने, बंदरगाहों की रक्षा करने और यूरोपीय प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए एक शक्तिशाली नौसेना बल की स्थापना की थी. तो आइए जानते हैं कि उन्हें भारतीय नौसेना का जनक क्यों कहा जाता है.

By: Shivi Bajpai | Published: December 4, 2025 10:42:06 AM IST



Indian Navy Day: आज 4 दिसंबर को पूरे देश में इंडियन नेवी डे मनाया जाता है. तो इस दिन के अवसर पर जानेंगे भारत के समुद्री इतिहास के बारे में. भारत का समुद्री इतिहास समृद्ध और विविधतापूर्ण है, लेकिन नौसेनिक युद्ध और रणनीति में अपने अद्वितीय योगदान के लिए एक व्यक्ति विशिष्ट हैं- छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्हें भारतीय नौसेना का जनक माना जाता है. 17वीं शताब्दी में जन्में शिवाजी महाराज एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने मजबूत नौसेनिक बल के सामरिक महत्व से भारत को अवगत कराया था. छत्रपति शिवाजी महाराज को 17वीं शताब्दी के भारत में समुद्री युद्ध और रणनीति में उनके दूरदर्शी योगदान के कारण भारतीय नौसेना के पिता के रूप में जाना जाता है. उन्होंने मराठा नौसेना बल की स्थापना की, सुदृढ़ नौसैनिक अड्डे बनाए तथा नवीन नौसैनिक रणनीतियां अपनाईं.

उनके द्वारा सुदृढ़ नौसैनिक अड्डों की स्थापना, विभिन्न प्रकार के जहाजों से युक्त एक बेड़े का विकास, और समुद्र में गुरिल्ला युद्ध जैसी नवीन नौसैनिक रणनीतियों का प्रचलन, अभूतपूर्व थे.ये योगदान कोई अनोखी उपलब्धि नहीं थे, बल्कि एक स्वतंत्र और संप्रभु राज्य के व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा थे. उनके नौसैनिक प्रयासों ने भारत में भावी समुद्री अभियानों के लिए आधार तैयार किया तथा वे आज भी अध्ययन और प्रशंसा का विषय बने हुए हैं.

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छत्रपति शिवाजी महाराज की शिक्षा और उपलब्धियां

छत्रपति शिवाजी महाराज , जिनका जन्म 19 फ़रवरी, 1630 को वर्तमान महाराष्ट्र के जुन्नार के निकट शिवनेरी किले में हुआ था, एक मराठा शासक थे जिन्होंने भारतीय इतिहास पर अमिट छाप छोड़ी. उनका जन्म दक्कन सल्तनत में सेवारत एक मराठा सेनापति शाहजी भोसले और अत्यंत धर्मपरायण एवं दूरदर्शी महिला जीजाबाई के यहाँ हुआ था. शिवाजी अपनी माँ की शिक्षाओं और बचपन में प्राप्त धार्मिक शिक्षा से बहुत प्रभावित थे. उनकी औपचारिक शिक्षा और सैन्य प्रशिक्षण दादोजी कोंडदेव द्वारा कराया गया, जिन्होंने उन्हें शासन, रणनीति और युद्ध के सिद्धांतों से परिचित कराया.

छोटी उम्र से ही शिवाजी ने शासन कला और सैन्य रणनीति में गहरी रुचि दिखाई, जो तब स्पष्ट हुई जब उन्होंने मात्र 15 वर्ष की आयु में चतुर रणनीति के माध्यम से बीजापुर का किला हासिल कर लिया.

शिवाजी महाराज को उनकी नवीन सैन्य रणनीति के लिए जाना जाता है, जिसमें पश्चिमी घाट के पहाड़ी इलाकों मेंगनिमी कावाके नाम से जानी जाने वाली गुरिल्ला युद्ध पद्धति का अग्रणी होना भी शामिल है.

उनकी प्रशासनिक कुशलता भी उतनी ही प्रभावशाली थीउन्होंने एक अनुशासित सेना और सुव्यवस्थित प्रशासनिक संगठनों की सहायता से एक सक्षम और प्रगतिशील नागरिक शासन की स्थापना की.

वह नौसेना बल की स्थापना में भी अग्रणी थे, जिसके कारण उन्हें भारतीय नौसेना के पिता की उपाधि मिली.

शिवाजी महाराज का शासनकाल मुगलों, बीजापुर सल्तनत और पुर्तगालियों के विरुद्ध कई सफल अभियानों के लिए जाना जाता है. 1674 में उन्हें मराठा साम्राज्य के राजा के रूप में औपचारिक रूप से ताज पहनाया गया और उन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार वर्तमान महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के बड़े हिस्से तक कर दिया. अप्रैल, 1680 को उनका निधन हो गया , लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है. उन्हेंकेवल एक महान योद्धा के रूप में, बल्कि एक न्यायप्रिय और बुद्धिमान शासक के रूप में भी याद किया जाता है. शासन के उनके आदर्श, महिलाओं के प्रति उनका सम्मान और प्रशासन के प्रति उनके प्रगतिशील विचार उन्हें आज भी पूजनीय और अध्ययन का विषय बनाते हैं.

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