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RIMS-2 Controversy: रिम्स-2 भूमि विवाद जारी, चंपई सोरेन सहित अन्य नेताओं को किया गया हाउस अरेस्ट

पुलिस ने ग्रामीणों पर आंसू गैस के गोले दागे, रिम्स में स्वस्थ्य सुबिधायें में सुधार होगा

By: Ratna Pathak | Published: August 24, 2025 4:52:51 PM IST



मनीष मेहता की रांची रांची से रिपोर्ट :  राजधानी रांची के नगड़ी इलाके में रिम्स-2 अस्पताल निर्माण को लेकर बवाल लगातार बढ़ता जा रहा है। जिस जमीन पर अस्पताल निर्माण की योजना है, उसी जमीन को लेकर स्थानीय किसान अड़े हैं। किसानों का कहना है कि यह जमीन पूरी तरह खेती योग्य है और पीढ़ियों से यहां पर ग्रामीण खेती कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। सरकार के फैसले के विरोध में रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन के नेतृत्व में ‘हल जोतो’ अभियान का ऐलान किया गया था, लेकिन प्रशासन ने हालात बिगड़ने की आशंका को देखते हुए उन्हें घर में नजरबंद कर दिया।

इस बीच इलाके में तनाव उस वक्त और बढ़ गया जब किसानों के प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने ग्रामीणों पर आंसू गैस के गोले दागे। अचानक हुई इस कार्रवाई से पूरे नगड़ी क्षेत्र में अफरातफरी मच गई और ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। चम्पाई सोरेन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सरकार और प्रशासन पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि किसानों की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है।

निषेधाज्ञा लागू, नेताओं पर रोक

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नगड़ी क्षेत्र में प्रशासन ने निषेधाज्ञा लागू कर दी है। चम्पाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन भी किसानों का समर्थन करने रांची आ रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया। बाबूलाल सोरेन ने कहा, “राज्य सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है। किसानों और आम जनता की आवाज को दबाया जा रहा है। यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

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प्रशासन की तैयारी, ड्रोन से निगरानी

ADM लॉ एंड ऑर्डर राजेश्वरनाथ आलोक ने बताया कि नगड़ी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पूरे इलाके में तीन लेयर की बैरिकेडिंग की गई है, भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है और ड्रोन से लगातार निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा, “कोई भी व्यक्ति नगड़ी स्थित जमीन पर धान रोपने या प्रदर्शन करने की कोशिश करेगा तो उसे रोका जाएगा और विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।”फिलहाल नगड़ी की स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। एक ओर सरकार का दावा है कि रिम्स-2 अस्पताल बनने से झारखंड की स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़ा सुधार होगा, तो वहीं किसान अपनी खेती योग्य जमीन बचाने के लिए आर-पार की लड़ाई पर उतरे हैं। आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराने के आसार हैं।

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