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Constitution Day 2025: 26 नवंबर को संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है? संविधान की वो बातें जो हर भारतीय को पता होनी चाहिए

Constitution Day 2025: भारत में 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. इसी दिन 1949 में संविधान अपनाया गया था. डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इसके निर्माण में अहम भूमिका निभाई. ये दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है.

By: sanskritij jaipuria | Last Updated: November 26, 2025 11:38:27 AM IST



Constitution Day 2025: भारत जैसे लोकतांत्रिक देश को चलाने के लिए एक मजबूत संविधान की जरूरत होती है. संविधान वही दस्तावेज है, जो बताता है कि सरकार कैसे बनेगी, उसके अधिकार क्या होंगे, नागरिकों के अधिकार–कर्तव्य क्या हैं और कानून व्यवस्था किस तरह चलेगी. भारत में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है.

लेकिन ये तारीख क्यों चुनी गई? क्योंकि 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान तैयार होकर अपनाया गया था. बाद में इसे 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया, इसलिए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है.

 भारतीय संविधान और डॉ. भीमराव अंबेडकर

भारतीय संविधान के निर्माण में डॉ. भीमराव अंबेडकर की सबसे बड़ी भूमिका मानी जाती है. वे संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे, इसलिए उन्हें संविधान का प्रमुख निर्माता भी कहा जाता है.

भारतीय संविधान से जुड़ी 10 खास बातें

 1. जनता की भागीदारी- संविधान पर चल रही बहसें आम लोग भी सुनते थे. करीब 53 हजार से ज्यादा नागरिक दर्शक दीर्घा में बैठकर इस ऐतिहासिक प्रक्रिया का हिस्सा बने.

 2. सबसे विस्तृत संविधान- जब भारतीय संविधान लागू हुआ था, तब इसमें 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियां थीं. इसलिए इसे आज भी दुनिया का सबसे विस्तृत लिखित संविधान माना जाता है.

3. हाथ से लिखा गया संविधान- संविधान को किसी मशीन से नहीं, बल्कि पूरी तरह हाथ से लिखा गया. इसे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में तैयार किया गया और इसमें लगभग 90 हजार शब्द थे.

4. सजावट में कलाकारों की भागीदारी- संविधान की कलात्मक लिखावट और चित्रों को बनाने के लिए शांतिनिकेतन के कलाकारों को बुलाया गया था. ये काम आचार्य नंदलाल बोस के मार्गदर्शन में हुआ.

5. मूल प्रति की सुरक्षा- संविधान की मूल कॉपियां आज भी संसद के पुस्तकालय में नाइट्रोजन गैस वाले विशेष बॉक्स में सुरक्षित रखी गई हैं.

6. सदस्यों के हस्ताक्षर- 24 जनवरी 1950 को संविधान हॉल, दिल्ली में हुई बैठक में 284 सदस्यों ने संविधान पर हस्ताक्षर किए थे.

7. संविधान सभा की अंतिम बैठक- इसी दिन संविधान सभा की आखिरी बैठक भी हुई, जिसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत का पहला राष्ट्रपति चुना गया.

8. महिलाओं की भूमिका- संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं. इनमें सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, अमृत कौर और दुर्गाबाई जैसी प्रख्यात महिलाएं शामिल थीं. महिलाओं की ये भागीदारी संविधान में समानता को मजबूत बनाती है.

9. तिरंगे की मंजूरी- 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज को आधिकारिक रूप से अपनाया था.

10. लगभग तीन साल में तैयार हुआ संविधान- संविधान को बनने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे. ये 26 नवंबर 1949 को पूरा हुआ और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया.

संविधान निर्माण का इतिहास

भारत की संविधान सभा का गठन 1946 में हुआ था और इसके अध्यक्ष बनने का सम्मान डॉ. राजेंद्र प्रसाद को मिला. संविधान का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी डॉ. बी.आर. आंबेडकर की अध्यक्षता वाली ड्राफ्टिंग कमेटी को सौंपी गई.

1948 में आंबेडकर ने संविधान का प्रारूप प्रस्तुत किया. लम्बी बहसों और चर्चाओं के बाद इसे 26 नवंबर 1949 को स्वीकृति मिली. 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ और भारत एक गणतंत्र देश बन गया. भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान माना जाता है. इसके अंग्रेजी संस्करण में एक लाख से भी अधिक शब्द पाए जाते हैं.

 संविधान की मूल भावना

संविधान की प्रस्तावना भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथ-निरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है. इसमें हर नागरिक के लिए चार प्रमुख आदर्श तय किए गए हैं-

न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा. इन्हीं मूल्यों पर भारत की एकता और अखंडता कायम है.

संविधान दिवस का महत्व

संविधान दिवस उन सदस्यों के प्रयासों का सम्मान है, जिन्होंने मिलकर भारत के भविष्य की नींव रखी. ये केवल कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की घोषणा है, जिसने सदियों के भेदभाव को चुनौती दी. ये दिन हमें याद दिलाता है कि लोकतंत्र तभी मजबूत होता है, जब नागरिक अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों को भी समझें और उनका पालन करें.

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