Suspension of Operations agreement: केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार और कुकी-जो समूहों द्वारा गुरुवार को हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय समझौते को संचालन निलंबन समझौता (SOP) नाम दिया गया है। इसे फिर से नवीनीकृत किया गया है। यह समझौता मणिपुर में क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखेगा। हिंसा के बाद से अब तक इसका नवीनीकरण नहीं हो सका था। इस त्रिपक्षीय समझौते का उद्देश्य मणिपुर में कुकी उग्रवाद को नियंत्रित करना और शांति स्थापित करना है। ऐसे में, आइए जानते हैं संचालन निलंबन (SoO) समझौता क्या है?
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संचालन निलंबन (SoO) समझौता क्या है?
केंद्र और मणिपुर सरकार ने अगस्त 2008 में कुकी उग्रवादी समूहों के साथ संचालन निलंबन समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसका मुख्य उद्देश्य कुकी उग्रवादी समूहों के साथ राजनीतिक बातचीत शुरू करना और हिंसा को खत्म करना है। यह समझौता एक साल के लिए है, जिसे हर वर्ष बढ़ाया जाता है। 2008 से इसे नियमित रूप से बढ़ाया जाता रहा है। हालाँकि, हाल के वर्षों में इसे लेकर विवाद काफी बढ़ गया था।
वर्ष 2023 में, मणिपुर सरकार ने कुकी राष्ट्रीय सेना और ज़ोमी क्रांतिकारी सेना के साथ हुए इस समझौते से हटने की घोषणा की। वहीं, पिछले साल मणिपुर विधानसभा में केंद्र सरकार के साथ इस समझौते को खत्म करने की बात कही गई थी। पिछले दो साल मणिपुर के लिए बेहद बुरे रहे हैं। पूरा मणिपुर हिंसा की चपेट में रहा। इस वजह से इसका नवीनीकरण नहीं हो पाया। लेकिन अब चीज़ें पटरी पर लौट रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पहले यह समझौता
प्रधानमंत्री मोदी के मणिपुर दौरे से पहले तीनों पक्षों के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं, यानी इसे फिर से नवीनीकृत किया गया है। इस समझौते के ज़रिए तीनों पक्ष मणिपुर में स्थायी शांति और स्थिरता लाने पर सहमत हुए। इसके अलावा, राष्ट्रीय राजमार्ग-2 को खोलने और उग्रवादी शिविरों को स्थानांतरित करने पर भी सहमति बनी।
समझौते पर हस्ताक्षर के बाद, गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्र, मणिपुर और कुकी-ज़ो समूहों के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। कुकी-ज़ो समूहों के साथ हुए समझौते के तहत, मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखा जाएगा। यह समझौता कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट के अंतर्गत आने वाले 25 कुकी उग्रवादी समूहों पर लागू है, जो मणिपुर में लगभग 30 कुकी उग्रवादी समूहों में से हैं।
समझौते की शर्तें और कानूनी दायित्व
इस त्रिपक्षीय समझौते की शर्त यह है कि न तो सुरक्षा बल और न ही उग्रवादी समूह कोई कार्रवाई करेंगे। इसी तरह, इसके अपने कानूनी दायित्व भी हैं। कुकी-ज़ो समूह संविधान, भारत के कानूनों और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता का पालन करेंगे।
21 महीने की हिंसा के बाद राष्ट्रपति शासन
मणिपुर में 3 मई, 2023 को मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी। यह हिंसा मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में शुरू हुई थी। तब से अब तक इस हिंसा में 250 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हज़ारों लोग घायल हुए हैं। 21 महीने की हिंसा के बाद, फरवरी में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। अगस्त में इसे छह महीने के लिए और बढ़ा दिया गया।
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