Home > देश > सूरज पर धधकती ‘आग की सुनामी’ कैसी दिखती है? Video में जानें कितना करीब पहुंच पाया इंसान, चौंका देगा नजारा

सूरज पर धधकती ‘आग की सुनामी’ कैसी दिखती है? Video में जानें कितना करीब पहुंच पाया इंसान, चौंका देगा नजारा

NASA Closest Ever Sun Images: नासा ने पहली बार सूरज की सबसे करीब से तस्वीरें ली हैं। Parker Solar Probe मिशन की फोटोज देखकर हर कोई हैरान है।

By: Utkarsha Srivastava | Published: July 14, 2025 5:56:11 PM IST



NASA Closest Ever Sun Images: अंतरिक्ष की दुनिया में आए दिन हो रहे कारनामों के बीच NASA ने सबसे खतरनाक प्लैनेट यानी सन (Sun) पर चमत्कार कर डाला है। धरती की ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत सूरज है लेकिन उसे लेकर वैज्ञानिक खोज काफी सीमित है क्योंकि इस ग्रह के करीब जाना मुमकिन ही नहीं है। हालांकि, NASA ने पहली बार ऐसी तस्वीरें निकाली हैं, जो अभी तक हर अंतरिक्ष मिशन के लिए सिर्फ सपना ही थीं। नासा इस धधकते सूरज के सबसे करीब पहुंचने में कामयाब हो गया है और आम लोगों को पहली बार चौंकाने वाला नजारा दिखाया है।

क्या है NASA का Parker Solar Probe मिशन?

अमेरिकी अंतरिक्ष संधान केंद्र, NASA का पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) सूर्य के चक्कर लगाने के मिशन पर भेजा गया था। इस परिक्रमा के दौरान ‘आग के दरिया’ की कुछ तस्वीरें ली गई हैं। ये सूर्य की अब तक की सबसे पास से ली गई तस्वीरें हैं। 24 दिसंबर 2024 को पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के सबसे पास से गुजरा और 3.8 मिलियन मील की दूरी से गुजरते हुए अंदर का नजारा कैप्चर कर लिया। प्रोब के कैमरा WISPR (Wide-field Imager for Parker Solar Probe) सिस्टम ने कोरोनल मास इजेक्शन (CME) का लाइव वीडियो रिकॉर्ड किया है। जिसके आस-पास भी जाना किसी बुरे सपने से कम नहीं है।

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समझें सूर्य पर दिखे खौफनाक नजारे का मतलब

बता दें कि CME सूर्य के कोरोना से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का एक विशाल उत्सर्जन है। जिसमें सूर्य से बड़ी मात्रा में आवेशित कण (प्लाज्मा) और चुंबकीय क्षेत्र अंतरिक्ष में फेंके जाते हैं। NASA के मिशन से जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें केल्विन-हेल्महोल्त्ज़ अस्थिरता (Kelvin-Helmholtz Instability) के दौरान पैदा हो रहे भंवर और तरंगें साफ नजर आ रही हैं। अभी तक वैज्ञानिकों के पास इसका काल्पनिक वर्जन था लेकिन अब इसका लाइव प्रमाण भी मिल गया है। नासा ने अपनी ये कामयाबी सोशल मीडिया पर शेयर की है। 1,300 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा तापमान और सूर्य की रेडियशन के बीच ऐसा कारनामा करना किसी चमत्कार से कम नहीं है। दावा किया जा रहा है कि इससे वैज्ञानिकों को कई तरह से मदद मिलेगी खास तौर पर स्पेस वेदर और इसका पृथ्वी पर प्रभाव समझना आसान होगा।

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