Hydrogen Water Taxi: वाराणसी, जिसे काशी भी कहा जाता है, अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है. अब ये शहर जल परिवहन के क्षेत्र में भी नया कदम उठा रहा है. देश की पहली हाइड्रोजन वाटर टैक्सी का उद्घाटन 11 दिसंबर यानी आज होगा. ये नाव हाइड्रोजन ऊर्जा से चलेगी और पर्यावरण के लिए बहुत ही सेफ है.
इस नाव से लोग जल्दी, आराम से और प्रदूषण मुक्त यात्रा कर सकेंगे. इसका ट्रायल पहले वाराणसी में शुरू होगा और अगर सब सही रहा तो इसे देश के दूसरे शहरों में भी लाया जाएगा.
हाइड्रोजन वाटर टैक्सी क्या है?
हाइड्रोजन वाटर टैक्सी, नाम से ही साफ है, एक ऐसी नाव है जो हाइड्रोजन से चलती है. ये पारंपरिक डीजल या पेट्रोल चालित नावों की तुलना में अधिक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल है. हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक का उपयोग कर ये नाव पानी के भीतर से ऊर्जा उत्पन्न करती है, जिससे कोई हानिकारक धुआं या प्रदूषण नहीं होता.
इसमें एक इलेक्ट्रिक इंजन भी लगाया गया है. इससे ये सुनिश्चित होता है कि नाव हमेशा सुचारु रूप से चल सके, चाहे हाइड्रोजन उपलब्ध हो या न हो. कुल मिलाकर, ये पानी पर यात्रा को ज्यादा सेफ तेज और साफ-सुथरा बनाने में मदद करती है.
वाराणसी में संचालन कब शुरू होगा?
वाराणसी में हाइड्रोजन वाटर टैक्सी शुरुआत में ये रविदास घाट से नमो घाट के बीच संचालन करेगी. इस मार्ग के पूरा होने के बाद, यात्रियों के लिए गंगा के रास्ते काशी विश्वनाथ धाम तक पहुंचने का अनुभव और भी सुगम हो जाएगा.
उद्घाटन समारोह में केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल हरी झंडी दिखाकर इसे रवाना करेंगे. इससे पहले ये उद्घाटन 4 दिसंबर को प्रस्तावित था, लेकिन अब इसे 11 दिसंबर को आयोजित किया जा रहा है.
कितना होगा किराया?
india.com के अनुसार सफर के दौरान यात्रियों के लिए पूरी तरह शाकाहारी जलपान की सुविधा उपलब्ध है. सफाई बनाए रखने के लिए नाव में बायो टॉयलेट्स लगे हैं और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी हैं. टिकट की कीमत यात्रियों के लिए ₹500 प्रति व्यक्ति रखी गई है. इस नई हाइड्रोजन वाटर टैक्सी के माध्यम से वाराणसी के लोग और पर्यटक गंगा का एक सुरक्षित, स्वच्छ और इको-फ्रेंडली अनुभव ले सकेंगे.
हाइड्रोजन वाटर टैक्सी कैसे चलती है?
हाइड्रोजन वाटर टैक्सी हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर बेस्ड है. इसका मूल सिद्धांत है हाइड्रोजन गैस को ऑक्सीजन के साथ मिलाकर इलेक्ट्रिक ऊर्जा उत्पन्न करना. ये ऊर्जा नाव के मोटर को चलाती है. इस प्रक्रिया के दौरान केवल पानी निकलता है, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता.
इलेक्ट्रिक मोटर के ऑप्शन के कारण ये नाव सुनिश्चित करती है कि नाव हमेशा चालू रहे. नाव में चार रिफिलिंग और चार्जिंग स्टेशन बनाए गए हैं. ये स्टेशन नमो घाट, ललिता घाट, शिवाला घाट और रविदास घाट पर स्थित होंगे. यहां यात्रियों और नाव संचालकों को हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक चार्जिंग दोनों की सुविधा मिलेगी.
हाइड्रोजन वाटर टैक्सी के फायदे
1. कम समय में लंबी दूरी: पारंपरिक नावों की तुलना में ये अधिक दूरी कम समय में तय कर सकती है.
2. ईंधन की बचत: हाइड्रोजन ऊर्जा और इलेक्ट्रिक ऑप्शन के कारण ईंधन की खपत कम होती है.
3. पर्यावरण के अनुकूल: कोई हानिकारक धुआं या प्रदूषण नहीं निकलता.
4. सुविधाजनक संचालन: चार रिफिलिंग और चार्जिंग स्टेशन नाव संचालन को लगातार सुचारु बनाते हैं.
5. सुरक्षित और आरामदायक: यात्रियों के लिए सेफ बैठने की व्यवस्था के साथ आरामदायक यात्रा अनुभव प्रदान करती है.
कितने लोग इसमें यात्रा कर सकते हैं?
वाराणसी में चलने वाली दो हाइड्रोजन वाटर टैक्सियों में प्रत्येक में 50 यात्री बैठ सकते हैं. इसका मतलब है कि ये नाव बड़ी संख्या में यात्रियों को एक साथ ले जा सकती है, जिससे ट्रैफिक और भीड़ कम होगी.
भारत में जल परिवहन पर प्रभाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “PM गति शक्ति” और “इनलैंड वॉटरवे” योजनाओं के तहत, जलमार्गों के विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है. हाइड्रोजन वाटर टैक्सी एक महत्वपूर्ण कदम है.
यदि वाराणसी में यह ट्रायल सफल रहा, तो भविष्य में इसे अन्य शहरों में भी लागू किया जा सकता है. इससे भारत में जल परिवहन का स्वरूप पूरी तरह बदल सकता है और ये एक स्थायी और स्वच्छ परिवहन माध्यम के रूप में उभर सकता है.
यात्रा का अनुभव
हाइड्रोजन वाटर टैक्सी में यात्रियों को आरामदायक सीटें और सुरक्षित यात्रा का एक्सपीरिएंस मिलेगा. इसमें इलेक्ट्रिक चार्जिंग की सुविधा भी है, जिससे आवश्यकतानुसार नाव को चार्ज किया जा सकता है. यात्रियों को तेज और समय पर यात्रा का लाभ मिलेगा.
इसका संचालन विशेष रूप से धार्मिक और पर्यटन स्थलों के लिए लाभकारी होगा. गंगा मार्ग से काशी विश्वनाथ धाम, रविदास घाट और अन्य घाटों तक की यात्रा अब और सुविधाजनक और पर्यावरण के अनुकूल होगी.
भविष्य की संभावनाएं
हाइड्रोजन वाटर टैक्सी परियोजना भारत में जल परिवहन के भविष्य की दिशा तय कर रही है. यह न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखेगी बल्कि यात्रा को तेज, सुरक्षित और आरामदायक भी बनाएगी.
अन्य शहरों में विस्तार: वाराणसी में सफल ट्रायल के बाद इसे अन्य नदियों और जलमार्गों में लागू किया जाएगा.
टेक्नोलॉजी का विकास: हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक तकनीक का विकास और इसका दायरा बढ़ेगा.
पर्यावरणीय लाभ: जल और वायु प्रदूषण में कमी आएगी.
आर्थिक विकास: पर्यटन और जलमार्ग से जुड़ी नई नौकरियां और व्यवसाय के अवसर बढ़ेंगे.