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हिंदू-मुसलमान को लेकर आखिर ऐसा क्या सोच रखते थे महात्मा गांधी, जिससे जिन्ना को होती थी चिढ़? जानिए

Hindu-Muslim Unity: किताब में महात्मा गांधी की लेखन का हवाला देते हुए कहा गया है: "जब ऐसा दंगा होता है, तो कुछ मोपला पागल हो जाते हैं; इसका मतलब यह नहीं है कि सभी मुसलमान बुरे हैं. तीन साल पहले शाहबाद में हिंदू भी पागल हो गए; इसका मतलब यह नहीं है कि सभी हिंदू बुरे हैं."

By: Ashish Rai | Published: October 1, 2025 10:22:28 PM IST



Mahatma Gandhi: जब भी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की बात होती है, तो महात्मा गांधी के नाम का जिक्र सबसे पहले होता है. इसके साथ ही, अंग्रेजों के खिलाफ उनका असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च और अहिंसा का उनका सिद्धांत भी चर्चा में रहता है. लेकिन भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बारे में गांधी जी क्या सोचते थे? इस पहलू पर शायद ही कभी चर्चा होती है. इसलिए, हम आपको भारत में सांप्रदायिक स्थिति पर महात्मा गांधी के विचारों के बारे में बताएंगे.

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महात्मा गांधी हिंदुओं और मुसलमानों के बारे में क्या सोचते थे?

पूर्व पत्रकार पीयूष बाबेले ने अपनी किताब ‘गांधी, पॉलिटिक्स एंड कम्युनलिज्म’ में विस्तार से बताया है कि महात्मा गांधी भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बारे में क्या सोचते थे. अपनी किताब में बाबेले ने हिंदुओं और मुसलमानों के बारे में गांधी के विचार, सांप्रदायिकता पर उनकी लेखन और उनकी सोच में विरोधाभास का जिक्र किया है.

किताब में महात्मा गांधी की लेखन का हवाला देते हुए कहा गया है: “जब ऐसा दंगा होता है, तो कुछ मोपला पागल हो जाते हैं; इसका मतलब यह नहीं है कि सभी मुसलमान बुरे हैं. तीन साल पहले शाहबाद में हिंदू भी पागल हो गए; इसका मतलब यह नहीं है कि सभी हिंदू बुरे हैं.”

इसके अलावा, गांधी ने लिखा: “अगर दो भाई एक साथ रहना चाहते हैं, तो कोई तीसरा व्यक्ति उनके बीच फूट नहीं डाल सकता.”

मुसलमानों द्वारा जबरन धर्म परिवर्तन के बारे में गांधी ने क्या कहा था?

1921 के 20 अक्टूबर के यंग इंडिया लेख में गांधी ने लिखा था कि मुसलमानों को जबरन धर्म परिवर्तन करने पर शर्म आनी चाहिए. मोपला दंगा हिंदुओं और मुसलमानों के लिए एक परीक्षा है. क्या हिंदू मुसलमानों के प्रति अपनी सद्भावना की इस परीक्षा का बोझ उठा पाएंगे?

महात्मा गांधी और जिन्ना के बीच बहस क्यों हुई?

किताब में महात्मा गांधी और जिन्ना के बीच हुई बहस का भी जिक्र है. इस बहस में जिन्ना ने कहा था कि दुनिया के सभी मुसलमानों को एकजुट करने का विचार सिर्फ एक भ्रम है. गांधी ने इसका विरोध करते हुए कहा, “किसी बात पर ज़ोर देना ही सबूत नहीं होता.”

इसके अलावा, जिन्ना ने गांधी से कहा, “यह साफ है कि आप हिंदुओं के अलावा किसी और का प्रतिनिधित्व नहीं करते, और जब तक आप असली स्थिति को नहीं समझेंगे, तब तक सार्थक चर्चा करना मुश्किल होगा.” इस पर गांधी ने जवाब दिया, “आप यह क्यों नहीं मानते कि मैं भारतीय समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करना चाहता हूं? क्या आप ऐसा नहीं चाहते? क्या हर भारतीय को पूरे भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करना चाहिए?”

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