Home > देश > Toll Plaza Revenue: टोल प्लाजा से हर दिन सरकार की हो रही है मोटी कमाई, मंत्रालय ने संसद में दी जानकारी…आकड़े जान उड़े जाएंगे आपके होश

Toll Plaza Revenue: टोल प्लाजा से हर दिन सरकार की हो रही है मोटी कमाई, मंत्रालय ने संसद में दी जानकारी…आकड़े जान उड़े जाएंगे आपके होश

Toll Plaza Revenue: सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों को टोल-मुक्त करने की कोई योजना नहीं है। इससे प्राप्त राजस्व केंद्रीय संचित निधि (Consolidated Fund of India) में जाता है और उसी से नई सड़कों का निर्माण और मरम्मत की जाती है।

By: Shubahm Srivastava | Published: July 31, 2025 8:32:36 PM IST



Toll Plaza Revenue: देश के 1,087 टोल प्लाजा से हर दिन 168 करोड़ रुपये की कमाई हो रही है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सदन में सांसद दरोगा प्रसाद सरोज के सवाल का जवाब देते हुए यह जानकारी दी। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने कहा है कि टोल संग्रह केवल लागत वसूली के लिए नहीं है, बल्कि नियमों के मुताबिक, यह एक उपयोग शुल्क है। सरकारी या निजी परियोजनाओं के अनुसार, टोल की अवधि और दरें तय होती हैं।

सरकार की ओर से बुढ़नपुर-वाराणसी मार्ग के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया है कि यह सड़क दो हिस्सों में बनी है। बुढ़नपुर से गोसाईं की बाजार बाईपास और गोसाईं की बाजार बाईपास से वाराणसी तक इसकी कुल लागत 5,746.97 करोड़ रुपये है और अब तक टोल संग्रह 73.47 करोड़ रुपये हो चुका है।

राष्ट्रीय राजमार्गों को टोल फ्री की योजना नहीं – सरकार

सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों को टोल-मुक्त करने की कोई योजना नहीं है। इससे प्राप्त राजस्व केंद्रीय संचित निधि (Consolidated Fund of India) में जाता है और उसी से नई सड़कों का निर्माण और मरम्मत की जाती है।

केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि बीओटी (Build-Operate-Transfer) परियोजनाओं में, एक निश्चित अवधि के बाद, टोल सरकार को सौंप दिया जाता है और वह उसे वसूलती है, जबकि सार्वजनिक वित्त पोषित सड़कों पर टोल संग्रह निरंतर जारी रहेगा और हर साल इसकी समीक्षा की जाएगी।

सड़क निर्माण के लिए नागरिकों से वसूला जाता है कर?

इस सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने बताया कि इसे दो तरह से वसूला जाता है। पहला है यूजर फी (टोल) – जो हाईवे पर सफर करने वालों से वसूला जाता है। यह एनएच फी रूल्स, 2008 के तहत किया जाता है और दूसरा है फ्यूल सेस, यानी पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला सेस। यह पैसा सेंट्रल रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (सीआरआईएफ) में जाता है। 

यहाँ से हाईवे, रेलवे क्रॉसिंग, ग्रामीण सड़कों, पुलों, एयरपोर्ट आदि के विकास पर पैसा खर्च किया जाता है। टोल का मकसद सड़कों के इस्तेमाल के लिए शुल्क लेना और उस पैसे से देशभर में सड़क नेटवर्क को बेहतर बनाना है।

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