Pregnant Woman: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक गर्भवती महिला और उसके आठ साल के बेटे को वापस लाने की संभावना पर निर्देश मांगने को कहा, जिन्हें हाल ही में बांग्लादेश डिपोर्ट किया गया था. इस मामले को लेकर कोर्ट ने साफ किया कि इस मामले पर “पूरी तरह से मानवीय आधार पर” विचार किया जाना चाहिए. चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 3 दिसंबर तय की थी. सीनियर वकील संजय हेगड़े ने इसे लेकर कहा कि रेस्पोंडेंट भोदू शेख की बेटी सोनाली खातून प्रेग्नेंसी के एडवांस स्टेज में थी और उसे भी बांग्लादेश डिपोर्ट कर दिया गया था. इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि उसके आठ साल के बेटे सबील को भी उसके साथ डिपोर्ट कर दिया गया था.
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वहीं फिर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए, जबकि सीनियर वकील कपिल सिब्बल राज्य की तरफ से पेश हुए. यह मामला केंद्र सरकार की उस याचिका से जुड़ा है जिसमें डिपोर्ट किए गए लोगों को वापस लाने के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी. महिला की हालत को देखते हुए, CJI ने स्पेशल जज से कहा कि वे सिर्फ़ महिला और बच्चे के बारे में ही निर्देश लें. उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “सिर्फ़ मानवीय आधार पर.”
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क्या भारत वापस आएगी महिला ?
इस मामले को लेकर SG सहमत हुए लेकिन उन्होंने कहा, “हम सभी को चिंता है कि इससे एक मिसाल कायम होगी.” इस पर, CJI ने कहा, “इसलिए हम रिकॉर्ड पर कुछ नहीं कह रहे हैं. शायद आप खुद एक्शन ले सकते हैं. इस दौरान हेगड़े ने यह भी कहा कि मां और बेटे को अलग करने से मुश्किलें बढ़ेंगी. उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों के पिता को भी डिपोर्ट कर दिया गया था, हालांकि कोर्ट ने इस पर कोई कमेंट नहीं किया. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया था कि केंद्र सरकार बांग्लादेश डिपोर्ट किए गए पश्चिम बंगाल के निवासियों को वापस लाने पर विचार करे ताकि उनकी सुनवाई हो सके.