Property Market in South : भारत का रियल एस्टेट बाजार पिछले कुछ सालों में तेजी से बदल रहा है. जहां कभी दिल्ली-एनसीआर और मुंबई प्रॉपर्टी निवेश के सबसे बड़े केंद्र माने जाते थे, वहीं अब हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे साउथ भारत के शहर आगे निकल रहे हैं. इन शहरों ने बिक्री, नई लॉन्चिंग और खरीदारों के भरोसे के मामले में नया रिकॉर्ड बनाया है.
दक्षिण के शहर क्यों हो रहे हैं फेमस?
बेंगलुरु को देश की सिलिकॉन वैली कहा जाता है. ये शहर आईटी प्रोफेशनल्स और स्टार्टअप्स का गढ़ है. देशभर के युवा यहां नौकरी और बेहतर जीवन के अवसर तलाशने आते हैं और फिर स्थायी रूप से बसने के लिए घर खरीदते हैं.
हैदराबाद ने भी हाल के सालों में आईटी, फार्मा और बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है. यहां की रियल एस्टेट कीमतें अभी भी किफायती हैं, जिससे मिडिल क्लास खरीदारों की बड़ी संख्या आकर्षित हो रही है.
चेन्नई भी मैन्युफैक्चरिंग और आईटी हब के रूप में उभरा है. यहां मध्यम वर्ग के लिए किफायती घरों की मांग बढ़ी है. मैजिकब्रिक्स की रिपोर्ट बताती है कि चेन्नई में मिड सेगमेंट घरों की बिक्री में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और नियोजित विकास
साउथ भारत के शहरों में मेट्रो नेटवर्क, नए एयरपोर्ट और सड़क संपर्क पर तेजी से काम हो रहा है. हालांकि ट्रैफिक एक बड़ी समस्या है, फिर भी शहरों का विकास योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है.
दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों की तुलना में बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई में प्रॉपर्टी की कीमतें अभी भी नियंत्रण में हैं. यही वजह है कि यहां घर खरीदना कई लोगों के लिए संभव हो पा रहा है.
रेरा का बेहतर पालन और खरीदारों का भरोसा
दक्षिण भारत के राज्यों में रेरा (RERA) कानून का पालन अधिक सख्ती से किया जाता है. इससे बिल्डरों की जवाबदेही बढ़ी है और खरीदारों का विश्वास मजबूत हुआ है.
इसके अलावा, ये शहर प्रवासियों को बेहतर जीवनशैली, शिक्षा और रोजगार के अवसर भी प्रदान करते हैं. यही वजह है कि यहां स्थायी रूप से बसने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
दिल्ली-एनसीआर और मुंबई की चुनौतियां
दिल्ली-एनसीआर में बिक्री तो बढ़ी है, लेकिन नए प्रोजेक्ट लॉन्च करने में अस्थिरता बनी हुई है. कई खरीदार अभी भी पुराने प्रोजेक्ट्स में फंसे हुए हैं और वर्षों से अपने घर का इंतजार कर रहे हैं.
मुंबई की स्थिति अलग है. यहां जमीन बेहद महंगी है और जगह की भारी कमी है. एक द्वीप शहर होने के कारण यहां नए निर्माण के लिए जमीन सीमित है. यही वजह है कि मुंबई में घर खरीदना आम लोगों के लिए लगभग असंभव बनता जा रहा है.