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Shibu Soren Political Career: क्यों तीन बार सीएम के रूप में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए शिबू सोरेन? अंदर की बात जान बड़े-बड़े दिग्गज रह गए दंग

Shibu Soren Political Career: शिबू सोरेन ने तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला, लेकिन अलग-अलग कारणों से तीनों बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। आइये उनके राजनीतिक करियर के बारे में जानते हैं।

By: Sohail Rahman | Published: August 4, 2025 12:05:11 PM IST



Shibu Soren Political Career: हेमंत सोरेन के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन हो गया है। इसकी जानकारी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट लिखकर दी है। जिसमें उन्होंने लिखा कि, आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं। इनके इस पोस्ट से अंदाजा लगा सकते हैं कि, इनका अपने पिता से कितना गहरा लगाव था।

शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को बिहार के हजारीबाग (अब हजारीबाग झारखंड का हिस्सा है) में हुआ था। लोग उन्हें दिशोम गुरु और गुरुजी के नाम से जानते थे। उनके पिता सोबरन मांझी आदिवासी समुदाय से थे और उच्च शिक्षित थे। एक शिक्षक के रूप में उन्होंने अपने समुदाय के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए और कई मुद्दों पर आवाज उठाई। इसी के चलते उनकी हत्या कर दी गई, जिसके बाद कॉलेज में पढ़ाई कर रहे शिबू सोरेन ने आदिवासी समुदाय को एकजुट करना शुरू कर दिया। यहीं से उनका राजनीति में प्रवेश भी शुरू हुआ।

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1972 ने राजनीतिक दल बनाने का लिया फैसला

वर्ष 1972 में शिबू सोरेन और उनके सहयोगियों ने एक राजनीतिक दल बनाने का फैसला किया, जिसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन हुआ। इसके बाद उन्होंने 1977 में पहली बार चुनाव लड़ा। हालांकि, पहले चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1980 से उनकी जीत का सिलसिला शुरू हुआ और वे दुमका लोकसभा सीट से सात बार सांसद रहे।

आदिवासियों के लिए एक अलग राज्य बनाना उनका सपना था। अलग झारखंड के लिए अभियान चलाने में शिबू सोरेन की अहम भूमिका रही। उन्होंने अलग राज्य के लिए लंबा आंदोलन चलाया और अपना पूरा राजनीतिक जीवन इसी को समर्पित कर दिया। उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति का ही नतीजा था कि बिहार से अलग झारखंड राज्य अस्तित्व में आया।

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तीनों बार उनका कार्यकाल पूरा क्यों नहीं हुआ?

शिबू सोरेन ने तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। 2000 में झारखंड राज्य के गठन के साथ ही चुनाव हुए और एनडीए को बहुमत मिला। इस बार सोरेन को सत्ता नहीं मिली। अगले विधानसभा चुनाव के दौरान शिबू सोरेन केंद्र में कोयला मंत्री के पद पर थे। इस चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, लेकिन राज्यपाल ने शिबू सोरेन को बुलाकर उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। हालाँकि, बाद में सोरेन बहुमत साबित नहीं कर पाए और कुछ दिनों बाद ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

इसके बाद 2008 में शिबू सोरेन दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन इस बार भी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। पद पर बने रहने के लिए उन्हें विधायक का चुनाव लड़ना पड़ा, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार राजा पीटर ने उन्हें हरा दिया। जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। ठीक एक साल बाद, सोरेन को फिर से सीएम की कुर्सी पर बिठाने की कोशिश की गई और उन्हें यह पद मिल भी गया, लेकिन सहयोगी भाजपा के भीतर अंदरूनी कलह के कारण उन्हें एक बार फिर इस्तीफा देना पड़ा।

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