Home > देश > Maharashtra News: मुंबई चमत्कारी हो गई है? 7/11 बम धमाके के फैसले पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने जताई हैरानी, भाषा विवाद पर राज ठाकरे के उड़ाए होश

Maharashtra News: मुंबई चमत्कारी हो गई है? 7/11 बम धमाके के फैसले पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने जताई हैरानी, भाषा विवाद पर राज ठाकरे के उड़ाए होश

अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि बात यह है कि जब हम भाषा के संदर्भ में बात कर रहे हैं, तो यह भाषा नहीं, बल्कि हिंसा है। इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करने वाले कुछ दिनों बाद अकेले पड़ जाएँगे।

By: Ashish Rai | Last Updated: July 24, 2025 12:51:58 PM IST



Shankaracharya Avimukteshwaranand: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बुधवार (23 जुलाई) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई मुद्दों पर बात की। महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर हुई हिंसा पर उन्होंने कहा कि ऐसा करने वाले एक दिन अकेले पड़ जाएँगे।

अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि बात यह है कि जब हम भाषा के संदर्भ में बात कर रहे हैं, तो यह भाषा नहीं, बल्कि हिंसा है। इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करने वाले कुछ दिनों बाद अकेले पड़ जाएँगे।

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विस्फोट मामले पर उन्होंने क्या कहा?

इसके अलावा, उन्होंने 2006 के विस्फोट मामले पर कहा कि इस घटना में मारे गए लोगों के बारे में कौन सोचेगा? अदालत का यह कैसा फैसला है? क्या आज पकड़े गए लोग निर्दोष हैं? घटना अपने आप हुई, क्या मुंबई चमत्कारी हो गई?

उन्होंने आगे कहा कि अदालत ने यह फैसला कैसे लिया? यह किस सरकार की विफलता है, यह अलग बात है। कैसा मामला बनाया गया? क्या 100 दिनों में से 3 दिन बाद आप किसी की गवाही नहीं सुनेंगे? फैसले में 11 साल लग गए और क्या फैसला दिया गया?

गोहत्या पर भी दिया बयान

गोहत्या और आपूर्ति के मामले पर उन्होंने कहा, “पहले यह तो बताइए कि महाराष्ट्र में राज्यमाता कहाँ हैं?

वह कैसे खाएँगी, कैसे पिएँगी, इस मामले में एक प्रोटोकॉल बनाया जाए। यह बात मुख्यमंत्री तक पहुँचाई जाएगी और संबंधित मंत्री तक भी पहुँचाई जाएगी।”

कबूतरों को दाना खिलाने के मामले पर पुनर्विचार की माँग

कबूतरों को दाना खिलाने से होने वाली बीमारियों का ज़िक्र करते हुए शंकराचार्य ने तर्क दिया कि अगर यह कहा जाता है कि इंसान के दिमाग में भी बैक्टीरिया होते हैं, तो क्या इंसानों को हटा देना चाहिए या राशन की दुकानें बंद कर देनी चाहिए? उन्होंने कबूतरों के पुनर्वास की वकालत की। उन्होंने कहा कि पहले हमने उन्हें दाना खिलाने की आदत डाली, और अब उन्हें उनके हाल पर कैसे छोड़ा जा सकता है? उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो कोई भी धर्म न्यायालय के फैसलों से असहमत होगा, वह “अपनी दूसरी अदालत” में जा सकेगा।

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