सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर भारतीय राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दावा है कि सन् 1939 में मुस्लिम लीग ने सरदार पटेल पर दो बार जानलेवा हमले करवाए थे, लेकिन इस सच को कांग्रेस ने पूरे 86 साल तक देश से छिपाए रखा. भाजपा का आरोप है कि इस घटना का ज़िक्र न तो इतिहास की किताबों में मिलता है और न ही आधिकारिक राजनीतिक विमर्श में, क्योंकि यह “कांग्रेस के लिए असहज सच” था.
दरअसल, सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला. भाजपा ने दावा किया कि मुस्लिम लीग ने 1939 में सरदार वल्लभभाई पटेल पर दो जानलेवा हमले करवाए थे, लेकिन कांग्रेस ने 86 साल तक इस मामले को दबाए रखा क्योंकि उसे “सच्चाई असहज” लगी.
सोशल मीडिया साइट X पर अपने आधिकारिक हैंडल से पोस्ट करते हुए, भाजपा ने कहा कि सरदार पटेल पर हुए दो हमलों में से एक में, 57 आरोपियों में से 34 को दोषी ठहराया गया था, और दो को एक विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. सरदार पटेल की रक्षा करते हुए दो “देशभक्त” शहीद हो गए, जबकि कई अन्य घायल हुए, लेकिन “कांग्रेसी इतिहासकारों” ने पूरी घटना को पाठ्यपुस्तकों से मिटा दिया. अपने तर्क को आगे बढ़ाते हुए, भाजपा ने लिखा कि उस समय किसी ने भी मुस्लिम लीग की भूमिका या कांग्रेस की कायरतापूर्ण चुप्पी का उल्लेख करने की हिम्मत नहीं की.
भारतीय जनता पार्टी ने हमले की दोनों घटनाओं से संबंधित समाचार कतरनों और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां साझा करके कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा. भाजपा ने पूछा, “कांग्रेस ने 86 साल तक इसे क्यों छिपाया, जब तक कि इतिहासकार रिज़वान कादरी ने इसे उजागर नहीं किया? क्योंकि सच्चाई असहज होती है.”
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वडोदरा में हमला
भाजपा ने कहा, “20 जनवरी, 1939 को, जब सरदार पटेल का जुलूस वडोदरा के मांडवी से गुज़र रहा था, तो मुस्लिम लीग समर्थित गुंडों ने “सरदार वापस जाओ” के नारे लगाए और उनकी कार पर पथराव किया. प्रजा मंडल कार्यालय में आग लगा दी गई. यह पटेल के बढ़ते प्रभाव को दबाने का एक राज्य प्रायोजित प्रयास था. कांग्रेस इस पर चुप रही. अगले दिन, सरदार पटेल ने शांति और संयम का आग्रह किया.”
दूसरी घटना मस्जिद से पटेल के जुलूस पर हमला
भाजपा ने दावा किया कि 14 मई, 1939 को, जब सरदार पटेल पाँचवीं प्रजा परिषद का नेतृत्व करने पहुँचे, तो मुस्लिम लीग से जुड़ी एक भीड़ (जिसे कथित तौर पर स्थानीय रियासतों का समर्थन प्राप्त था) ने नगीना मस्जिद से उनके शांतिपूर्ण जुलूस पर हमला कर दिया. यह एक पूर्व-नियोजित साज़िश थी। देशभक्त बच्चू वीरजी और जाधवजी मोदी सरदार पटेल की रक्षा करते हुए शहीद हो गए. कई घायल हुए. फिर भी, पटेल ने उस शाम शांतिपूर्ण संकल्प के साथ सभा को संबोधित किया और शहीदों को श्रद्धांजलि दी.