Rajnath Singh Political Journey : भारत की राजनीति में राजनाथ सिंह का नाम किसी पहचान का मुहताज नहीं है। वर्तमान में मोदी सरकार में रक्षा मंत्री के पद अपनी सेवा दे रहे हैं। इससे पहले वो सीएम से लेकर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका के अलावा उन्होंने प्रोफेसर की भी भूमिका निभा चुके हैं। एक कृषक परिवार में जन्म होने के बाद भी इतने उच्च पदों तक पहुंचना आसान बात नहीं है। वाराणसी के एक छोटे से गांव से लेकर दिल्ली तक का उनका सफर कैसा रहा उसपर एक नजर डाल लेते हैं।
राजपूत परिवार में हुआ राजनाथ सिंह का जन्म
राजनाथ सिंह का जन्म 10 जुलाई 1951 को एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम राम बदन सिंह और माता का नाम गुजराती देवी था। एक साधारण किसान परिवार में जन्मे राजनाथ सिंह ने बाद में गोरखपुर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में भौतिकी में आचार्य की उपाधि प्राप्त की। वे 1964 में संघ से जुड़े और मिर्जापुर में भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में कार्य करने लगे। वे 1972 में मिर्जापुर के शाखा कार्यवाह (महासचिव) भी बने और दो साल बाद राजनीति में प्रवेश किया।
ABVP से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक का सफर
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्र कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले राजनाथ सिंह आगे चलकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। राजनाथ सिंह 1977 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के विधायक, 1988 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य और 1991 में उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री बने। उत्तर प्रदेश में शिक्षा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने नकल विरोधी अधिनियम, पाठ्यक्रम में वैदिक गणित को शामिल करने और इतिहास की पाठ्यपुस्तकों के विभिन्न विकृत अंशों को सुधारने जैसे कई ऐतिहासिक निर्णय लिए।
मार्च 1997 में जब वे भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रदेश अध्यक्ष बने, तो पार्टी के आधार विस्तार और संगठन को मज़बूत करने में उनके सराहनीय योगदान की चौतरफा प्रशंसा हुई। पार्टी में उनके बढ़ते कद का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने दो बार राजनीतिक संकट के दौरान भाजपा नीत सरकार को बचाने में अहम भूमिका निभाई।
यूपी के सीएम और केंद्रीय मंत्री
अक्टूबर 2000 में, वो यूपी के मुख्यमंत्री बने, जिसके बाद नवंबर 1999 में, वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री बने। 2003 में, वे अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री बने। केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री के रूप में, उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के एक स्वप्निल प्रोजेक्ट, एनएचडीपी (राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम) की शुरुआत की। केंद्रीय कृषि मंत्री और फिर खाद्य प्रसंस्करण मंत्री के रूप में, उन्होंने किसान कॉल सेंटर और कृषि आय बीमा योजना जैसी अग्रणी परियोजनाओं का नेतृत्व किया।
सीएम बनने के बाद राजनाथ सिंह ने विभिन्न विभागों के साथ केंद्रीय मंत्री के रूप में अपनी भूमिका में, उन्होंने देश की लोकतांत्रिक इमारत को मजबूत करने के लिए काम किया और लोगों, विशेषकर समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के कल्याण के लिए समर्पित थे।
बीजेपी को मजबूत बनाने में अहम योगदान
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने पार्टी को मज़बूत करने और पार्टी की विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाने के लिए अथक प्रयास किया। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने पूरे देश का दौरा किया। उन्होंने भारत सुरक्षा यात्रा भी की, जिसके तहत उन्होंने कई राज्यों की यात्रा की और बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों और आंतरिक सुरक्षा के लिए ख़तरों का मुद्दा उठाया।
उन्होंने आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों, किसानों की शिकायतों और यूपीए सरकार द्वारा अपनाए गए सनकी अल्पसंख्यकवाद जैसे जनहित के मुद्दों पर ज़ोर दिया। वे 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री बने और 2019 और 2024 में देश के रक्षा मंत्री बनाए गए।
इमरजेंसी के दौरान गए थे जेल
आपको बता दें कि 1975 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल लगाया था, तो उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया था। 1975 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और दो साल तक हिरासत में रखा गया।
राजनाथ सिंह ने पार्टी में महिलाओं को सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2007 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पार्टी में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव रखा था। देश के गृह मंत्री के रूप में, उन्होंने 2015 में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) सहित सभी अर्धसैनिक बलों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की। अब एक बार फिर से राजनाथ सिंह का नाम पार्टी अध्यक्ष बनने को लेकर चर्चाओं में बना हुआ है।