Prayagraj News: प्रयागराज के श्री बड़े हनुमान मंदिर में मंगलवार को एक अलौकिक दृश्य देखने को मिला, जिसका हर भक्त साल भर इंतज़ार करता है। दोपहर में गंगा नदी का जल धीरे-धीरे बढ़ता हुआ मंदिर परिसर में पहुँचा और लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति तक पहुँच गया। मान्यता है कि माँ गंगा स्वयं हनुमान जी को स्नान कराने आती हैं। जैसे ही गंगा जल ने मूर्ति को छुआ, वहाँ मौजूद सैकड़ों भक्तों ने जयकारों से उसका स्वागत किया और वातावरण पूरी तरह से आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया।
दोपहर 2:15 बजे माँ गंगा का मंदिर में प्रवेश
ठीक 2:15 बजे गंगा की धारा श्री बड़े हनुमान मंदिर तक पहुँच गई। जैसे ही गंगा जल हनुमान जी तक पहुँचा, भक्तों के भाव उमड़ पड़े और कई लोगों की आँखें भक्ति से नम हो गईं। बता दें, यह क्षण अत्यंत पावन और अति दुर्लभ माना जाता है क्योंकि माँ गंगा स्वयं हनुमान जी को स्नान कराती हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और हर साल इसी समय गंगा का जल मंदिर तक पहुँचता है।
विशेष आरती के साथ माँ गंगा का स्वागत
जैसे ही गंगा मैया ने मंदिर में प्रवेश किया, वातावरण जयकारों और भक्ति संगीत से गूंज उठा। महंत बलवीर गिरि ने विधि-विधान से विशेष आरती कर माँ गंगा का स्वागत किया। आरती के दौरान पूरा परिसर ढोल-नगाड़ों और शंखनाद से गूंज उठा। इस क्षण के लिए भक्त घंटों से जुटे थे और जैसे ही माँ गंगा मंदिर पहुँचीं, सभी की भक्ति भावना आनंद से भर गई। भक्तों ने फूलों से सजे मंदिर परिसर में दीप जलाए और माँ गंगा की महिमा का गुणगान किया।
स्थानीय लोगों ने कहा- यह एक दुर्लभ अवसर है
वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह एक दुर्लभ अवसर है जब माँ गंगा लेटे हुए हनुमान जी को स्नान कराती हैं और इस शुभ अवसर के बाद मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस वर्ष भी मंदिर में गंगा जी की विधिवत पूजा-अर्चना की गई और आरती की गई। इस आयोजन का न केवल धार्मिक महत्व है बल्कि यह प्रयागराज की संस्कृति और परंपरा का भी अभिन्न हिस्सा है।
यह दुर्लभ अवसर हर साल केवल एक बार ही आता है
बता दें, यह घटना हर साल केवल एक बार ही होती है और इसे एक चमत्कारी संयोग माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा मैया स्वयं श्री हनुमान जी को स्नान कराने आती हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से यही वह समय होता है जब गंगा का जलस्तर बढ़ता है, लेकिन आस्था की दृष्टि से यह एक दैवीय आशीर्वाद है। इस चमत्कार को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु प्रयागराज आते हैं। यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है और आज भी लोगों के मन में इसकी विशेष मान्यता है।
लंका विजय के बाद हनुमान जी यहीं विश्राम करने के लिए लेट गए थे, तभी से शुरू हुई परंपरा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब हनुमान जी ने लंका विजय और राक्षसों का नाश करने में राम जी की सहायता की, तो वे थककर प्रयागराज के संगम तट पर लेट गए। तभी से इस स्थान को पवित्र माना जाने लगा। धार्मिक मान्यता है कि उसी दिन से मां गंगा वर्ष में एक बार हनुमान जी को स्नान कराने आती हैं। मान्यता है कि इस स्नान से न केवल क्षेत्र की बल्कि पूरे विश्व की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सुख-शांति स्थापित होती है। यही कारण है कि इस दिन को लेकर श्रद्धालुओं में गहरी आस्था और उत्साह देखा जाता है।