शैलेन्द्र कुमार की रिपोर्ट, Bihar Politics: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी क्या फिर 2020 वाली कहानी बिहार में दोहराने की तैयारी में है। क्या वो फिर से तेजस्वी यादव की ताजपोशी की राह में रोड़ा बनेगी। ये हम इसलिए कह रहे हैं क्यों कि ओवैसी की पार्टी ने बिहार में फिर से तीसरा मोर्चा बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए उनकी पार्टी के बाद चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी जैसे दलों से बात चल रही है। जल्द ही इसका स्वरूप सामने आ सकता है। अभी तक जो बात सामने आई है, उसके मुताबिक ओवैसी की पार्टी इस बार बिहार में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, लेकिन इस पर अंतिम फैसला असदुद्दीन ओवैसी ही लेंगे। पार्टी की राज्य कमेटी की ओर से ये प्रस्ताव भेजा गया है। साथ ही राज्य में गठबंधन की तैयारी भी चल रही है। आजाद समाज पार्टी के अलावा पिछली बार बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी) के गठबंधन था, इस बार भी उसके साथ गठबंधन की बात चल रही है। इसके अलावा आईपी गुप्ता की इंकलाब पार्टी से भी ओवैसी की पार्टी की बात चल रही है। गठबंधन में अन्य दलों को साथ लेने की तैयारी चल रही है।
ओवैसी ने क्या कहा?
Asaduddin Owaisi: ऐसा माना जा रहा है कि आनेवाले कुछ दिनों में तीसरे मोर्चे की तस्वीर साफ हो सकती है। वहीं, AIMIM की बात करें, तो बिहार में महागठबंधन में शामिल होना चाहती थी, लेकिन वहां बात नहीं बनी। अभी AIMIM के बिहार अध्यक्ष और पार्टी के एक मात्र विधायक बचे अख्तरुल इस्लाम हैं। जो पार्टी का झंडा राज्य में बुलंद कर रहे हैं। वो कहते हैं कि अब एनडीए को हरानेवाले दलों के साथ हम मिलकर लड़ेंगे। गठबंधन के लिए हमने लालू प्रसाद यादव को पत्र तक लिखा था, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया। इस वजह से AIMIM ने अब तीसरा मोर्चा बनाने की राह चुनी है।
वहीं, बात 2020 की करें, तो ओवैसी की पार्टी ने बीएसपी के साथ तब की उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP से गठबंधन किया था। उपेंद्र कुशवाहा केंद्रीय की एनडीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इस बार फिर से वो एनडीए के साथ हैं।
2020 की चुनाव पर क्या बोले?
Bihar Chunav: ओवैसी की पार्टी ने 2020 सीमांचल की 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था और पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, उसकी सहयोगी बीएसपी को एक सीट पर जीत मिली थी, जब कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी कोई सीट जीत नहीं पाई थी। 2020 में भले ही ओवैसी और उनके सहयोगी दलों को छह सीटें मिलीं, लेकिन बाद में पांच विधायकों ने पाला बदल लिया। बीएसपी से जीते जमा खान जेडीयू में शामिल हो गए और बिहार सरकार में मंत्री बन गए। वहीं, कुछ दिन बाद AIMIM के भी चार विधायक टूट गए और आरजेडी में शामिल हो गए। महागठबंधन की सरकार बनी तो उसमें से शाहनवाज राज्य सरकार में मंत्री बने। यहां विशेष बात ये है कि 2020 में चुनाव में बहुत कांटे की टक्कर हुई थी, जिसमें राज्य से एनडीए की सरकार बनी थी। उस चुनाव में ओवैसी की पार्टी बड़ी शक्ति बन कर उभरी थी और कहा जा रहा था कि अगर वो पांच सीटें नहीं जीतती, तो राज्य से तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बन सकती थी। उस समय ओवैसी की पार्टी को बीजेपी की बी टीम भी बताया गया था।