New GST rates: GST दरों में बदलाव को लेकर आठ राज्यों की बैठक, झारखंड ने जताई बड़ी चिंता

New GST rates: GST दरों में बदलाव को लेकर आठ राज्यों की बैठक, झारखंड ने जताई बड़ी चिंता, एक जॉइंट मेमोरंडम तैयार कर जीएसटी परिषद को सौंपने की तयारी

Published by Swarnim Suprakash

रांची से मनीष मेहता रिपोर्ट 
New GST rates: नई दिल्ली के कर्तव्य पथ स्थित वित्त मंत्रालय में शुक्रवार  को आठ राज्यों—झारखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल—के वित्त मंत्रियों और राज्य मंत्रियों की अहम बैठक हुई। बैठक का मुख्य एजेंडा था आगामी 3 और 4 सितंबर को जीएसटी परिषद की बैठक में प्रस्तावित GST Rate Rationalisation पर विचार-विमर्श करना।

प्रस्ताव पर झारखंड सहित कई राज्यों ने गंभीर आपत्ति जताई

केंद्र सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि मौजूदा चार स्लैब—5%, 12%, 18% और 28%—को घटाकर तीन स्लैब कर दिया जाए। इसके तहत 12% और 18% स्लैब को मिलाकर 15% का नया स्लैब लाने की योजना है। सरकार का तर्क है कि इससे कर संरचना सरल होगी और वस्तुओं के दाम कम होंगे। लेकिन इस प्रस्ताव पर झारखंड सहित कई राज्यों ने गंभीर आपत्ति जताई।

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झारखंड का कहना है कि यह एक छोटा विनिर्माता राज्य (Manufacturing State) है। यहां कोयला, लोहा-अयस्क और खनिज उत्पादन का बड़ा हिस्सा है और जीएसटी लागू होने के बाद से ही इस पर प्रतिकूल असर पड़ा है। पहले राज्यों को अंतरराज्यीय आपूर्ति पर राजस्व मिलता था, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद यह हिस्सा शून्य हो गया।

राज्य को हर साल लगभग 2000 करोड़ रुपये का नुकसान

झारखंड सरकार का अनुमान है कि प्रस्तावित जीएसटी रेट रैशनलाइजेशन से राज्य को हर साल लगभग 2000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। इसलिए झारखंड और अन्य राज्यों ने मांग की है कि यदि दरों में बदलाव किया जाता है तो कम से कम पांच साल तक गारंटीकृत मुआवजा (Compensation) मिलना चाहिए।

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एक जॉइंट मेमोरंडम तैयार कर जीएसटी परिषद को सौंपने की तयारी

बैठक में राज्यों ने सर्वसम्मति से तय किया कि एक जॉइंट मेमोरंडम तैयार कर जीएसटी परिषद को सौंपा जाएगा। इसमें स्पष्ट किया जाएगा कि बिना मुआवजा व्यवस्था के इस प्रस्ताव को लागू करना राज्यों के लिए घातक होगा और इससे उनकी वित्तीय स्थिरता (Fiscal Stability) पर असर पड़ेगा।

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राज्यों का कहना है कि GST सुधार का उद्देश्य सरलीकरण और युक्तिकरण होना चाहिए, लेकिन यह राज्यों की राजकोषीय स्वायत्तता के नुकसान की कीमत पर नहीं होना चाहिए। राज्यों ने यह भी सुझाव दिया कि Sin और Luxury वस्तुओं पर एक विशेष शुल्क लगाकर राज्यों की आय की भरपाई की जाए।

बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि केवल संतुलित दृष्टिकोण ही जीएसटी सुधार को सफल बनाएगा और सच्चे Cooperative Federalism की भावना को आगे बढ़ाएगा।

Swarnim Suprakash
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Tags: GSTjharkhand

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