आईटीवी नेटवर्क का दो दिवसीय ‘इंडिया न्यूज़ मंच 2025’ कॉन्क्लेव मंगलवार को दिल्ली के द इंपीरियल होटल में शुरू हुआ, जिसमें राजनीतिक और ग्लैमर जगत की कई हस्तियों ने भाग लिया. इस मंच पर 48 वर्षों में मिसेज यूनिवर्स 2025 का ताज जीतने वाली पहली भारतीय शैरी सिंह भी मौजूद रहीं. उन्होंने अपने ऐतिहासिक सफर, महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य और जीवन के लक्ष्यों पर खुलकर बात की.
48 साल बाद भारत लौटा ‘मिसेज यूनिवर्स’ का ताज
शैरी सिंह ने अपनी इस जीत को केवल अपनी नहीं, बल्कि “सारी इंडियन मैरिड वुमेन की जीत” बताया. उन्होंने कहा कि 4 साल की लंबी और मुश्किल यात्रा के बाद यह सफलता मिली. जब मिसेज यूनिवर्स के तौर पर भारत का नाम अनाउंस हुआ, तो उनकी पहली भावना कृतज्ञता (Gratitude) की थी. उन्होंने अपनी सारी मेहनत सफल होने पर भगवान का शुक्रिया अदा किया.
उन्होंने बताया कि यह खिताब जीतने का उनका लक्ष्य अर्जुन के लक्ष्य की तरह था. उन्हें पता था कि 48 साल से यह ताज कोई भारतीय नहीं जीता है, इसलिए उनका दृढ़ संकल्प था कि वह इसे अपने देश लेकर जाएंगी.
विवाहित महिलाओं के लिए संदेश: इस पैजेंट में भाग लेने का उनका एक मुख्य उद्देश्य यह था कि महिलाएं जान सकें कि शादी के बाद भी अगर वे ग्लैमर या ब्यूटी पैजेंट्स में हिस्सा लेने की इच्छा रखती हैं, तो वह बिल्कुल कर सकती हैं.
मिसेज vs मिस कैटेगरी पर सवाल
शेरी सिंह ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि भारत में मिसेज कैटेगरी को मिस कैटेगरी जितना महत्व और पहचान क्यों नहीं मिलती है. “मेरा एक ऑब्जेक्टिव यह भी था कि क्यों? मतलब इस चीज का आंसर मैं अभी तक भी ढूंढ रही हूं कि मिसेज कैटेगरी इतनी ग्लोरिफाइड क्यों नहीं है जितनी मिस कैटेगरी है. आई एम स्टिल वर्किंग ऑन इट.”
उन्होंने आगे कहा कि मिसेज कैटेगरी, मिस कैटेगरी से 10 गुना ज्यादा कठिन है, क्योंकि इस पड़ाव पर महिलाएं पत्नी और मां होने की कई जिम्मेदारियां संभाल रही होती हैं.
महिला सशक्तिकरण और शिक्षा पर फोकस
मिसेज यूनिवर्स बनने के बाद शेरी सिंह की जिंदगी में सबसे बड़ा बदलाव उनके सामाजिक कार्यों को एक प्लेटफॉर्म मिलना है. उनका मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सशक्तिकरण और महिला शिक्षा (Women Education) पर काम करना है। उनका कहना है कि शहरों में रहते हुए हम अक्सर टू टियर और थ्री टियर सिटीज की महिलाओं की समस्याओं को भूल जाते हैं.
उन्होंने राजस्थान का एक उदाहरण साझा किया, जहां माता-पिता बेटों को प्राइवेट स्कूल में भेजते हैं, और बेटियों को पब्लिक स्कूल में, ताकि वे दहेज के लिए पैसे बचा सकें. उन्होंने कहा कि वह एक ऐसा एजुकेशन सिस्टम या स्कूल खोलना चाहती हैं जहां बच्चियों को प्राइवेट स्कूल जैसी ही अच्छी शिक्षा मिले.
आगे की राह: उनका सपना है कि उनका एक साल का कार्यकाल (Reigning Period) खत्म होने के बाद वह विशेष रूप से टू टियर और थ्री टियर सिटीज में महिला शिक्षा पर काम करना शुरू करेंगी.
पति का साथ और साझेदारी
शेरी सिंह ने अपने पति और परिवार के समर्थन को अपनी सफलता का आधार बताया. उन्होंने कहा कि शादी में बिल्कुल समानता होनी चाहिए. वह और उनके पति पति-पत्नी की तरह नहीं, बल्कि एक टीम और पार्टनर्स की तरह काम करते हैं. उन्होंने विवाहित महिलाओं को संदेश दिया कि उन्हें अपनी लिमिट खुद नहीं बांधनी चाहिए. उनके दिमाग में भी यह दुविधा थी कि क्या वह अपने बेटे और पति को समय दे पाएंगी, लेकिन उन्होंने महसूस किया कि महिलाओं के भी सपने होते हैं, और वे सबसे बेहतरीन मैनेजर्स और मल्टीटास्कर्स होती हैं.
खुद को बनाया रोल मॉडल
जब उनसे उनके प्रेरणा स्रोत (रोल मॉडल) के बारे में पूछा गया, तो शेरी सिंह ने खुद को ही अपना रोल मॉडल बताया. “रोल मॉडल मैं अपने आप को ही बोलूंगी… क्योंकि जो सारा संघर्ष है जो भी मैंने चीजें सीखी करी वो मैंने एज़ एन इंडिविजुअल खुद ही सीखी. खुद ही करी.”
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि 1994 में जब ऐश्वर्या राय और सुष्मिता सेन जीती थीं, तो उस समय ही उनके मन में पैजेंट्री का सपना रोपा गया था.
मिसेज यूनिवर्स और राजनीति में रुचि
शेरी सिंह उत्तर प्रदेश के दादरी शहर से आती हैं. वह बचपन से ही स्पोर्ट्स में रही हैं और यूपी तथा दिल्ली यूनिवर्सिटी के लिए नेशनल भी खेला है. इतने बड़े खिताब के बावजूद, उनकी पसंद बहुत साधारण है. उनका सबसे पसंदीदा खाना दाल चावल है, जिसे वह विदेश में भी पैक करके ले गई थीं. उन्हें माउंटेंस पसंद हैं और वह एक क्लासिक 350 बाइक चलाती हैं. उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में उन्हें मौका मिला, तो वह समाज में बदलाव लाने के लिए सिस्टम में प्रवेश करना पसंद करेंगी, न कि उसके पीछे भागना.

