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Malegaon Blast Case: मालेगांव विस्फोट मामले में मुख्य 7 आरोपी कौन थे? लगे थे ये गंभीर आरोप

Malegaon Blast Case: 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक धमाका हुआ था। अदालत ने अपने फैसले में माना है कि एनआईए सभी आरोपों को साबित करने में नाकाम रही है। अदालत ने यह भी कहा कि आतंकवाद का कोई रंग या धर्म नहीं होता।

By: Divyanshi Singh | Published: July 31, 2025 12:44:56 PM IST



Malegaon Blast Case: महाराष्ट्र के मालेगांव में 17 साल पहले हुए बम ब्लास्ट मामले में गुरुवार को फैसला आ गया। एनआईए की विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया। इस पूरे बम ब्लास्ट मामले में भोपाल से पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा को मुख्य आरोपी बनाया गया था। मामले में बरी होने के बाद प्रज्ञा रो पड़ीं और बोलीं, “यह भगवा की जीत है, मुझे 13 दिनों तक प्रताड़ित किया गया।”

29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक धमाका हुआ था। अदालत ने अपने फैसले में माना है कि एनआईए सभी आरोपों को साबित करने में नाकाम रही है। अदालत ने यह भी कहा कि आतंकवाद का कोई रंग या धर्म नहीं होता।

मालेगांव बम विस्फोट क्या था?

महाराष्ट्र का मालेगांव एक मुस्लिम बहुल इलाका है। रमज़ान के महीने में 29 सितंबर 2008 को इस इलाके में एक बम विस्फोट हुआ था। एक मोटरसाइकिल पर बम लगाकर विस्फोट किया गया था। इस विस्फोट में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 95 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे।

बताया गया था कि बम मोटरसाइकिल पर बंधा हुआ था। जाँच एजेंसी ने खुलासा किया था कि मोटरसाइकिल की मालिक प्रज्ञा सिंह ठाकुर थीं और उन्हें 23 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ के बाद, एटीएस ने अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया था। इसके बाद, अब उन्हें मामले से बरी कर दिया गया है।

मालेगांव विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी कौन हैं?

भाजपा नेता और पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित उन सात मुख्य आरोपियों में शामिल थे जिन पर इस मामले में मुकदमा चलाया गया। अन्य आरोपियों में मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे।

उनके खिलाफ क्या आरोप था?

उनके खिलाफ यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य करना) और 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश रचना) और आईपीसी की विभिन्न धाराओं, जिनमें 120 (बी) (आपराधिक साजिश), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 324 (स्वेच्छा से चोट पहुँचाना) और 153 (ए) (दो धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) शामिल था, के तहत आरोप लगाए गए थे। मुकदमे के दौरान, अभियोजन पक्ष ने 323 गवाह पेश किए, जिनमें से 37 अपने बयान से मुकर गए।

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