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ब्लास्ट के बाद दर्जनों डॉक्टर के फोन बंद, क्या अब भी आतंकी घूम रहे जिंदगी बचाने वाले के भेष में? जांच में जुटी टीम

Lal Quila Blast: दिल्ली में लाल किले के बाहर हुए ब्लास्ट की जांच अब हरियाणा के नूंह तक पहुंच गई है. नूंह के अब तक 5 लोग हिरासत में लिए जा चुके हैं, इनमें 2 डॉक्टर और MBBS स्टूडेंट है. तीनों का फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से लिंक  है.

By: Heena Khan | Published: November 15, 2025 12:31:57 PM IST



Delhi Blast: दिल्ली में लाल किले के पास हुए हालिया बम ब्लास्ट ने पूरे देश को झंकझोर कर रख दिया था. वहीं इस ब्लास्ट को लेकर जांच एजेंसियों को एक बड़ा सुराग मिला है. गिरफ्तार संदिग्ध डॉक्टरों और डॉ. मुज़म्मिल के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) से एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, एजेंसियों ने अल फलाह विश्वविद्यालय में पढ़ाई और काम करने वाले डॉक्टरों की एक लंबी सूची तैयार की है. उमर के घर में हुए बम धमाके के बाद से इनमें से कई डॉक्टरों के फोन बंद आ रहे हैं और जांच एजेंसियां उनका पता लगाने की कोशिश कर रही हैं. सूत्र बताते हैं कि जैश से जुड़े इन संदिग्धों के संपर्क में रहने वाले एक दर्जन से ज़्यादा डॉक्टरों की तलाश जारी है.

नूंह से गिरफ्तार हुए डॉक्टर 

दिल्ली में लाल किले के बाहर हुए ब्लास्ट की जांच अब हरियाणा के नूंह तक पहुंच गई है. नूंह के अब तक 5 लोग हिरासत में लिए जा चुके हैं, इनमें 2 डॉक्टर और MBBS स्टूडेंट है. तीनों का फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से लिंक  है. फिरोजपुर झिरका से डॉ. मोहम्मद, नूंह शहर से डॉक्टर रिहान और पुन्हाना के सुनहेड़ा गांव से डॉ. मुस्तकीम को अरेस्ट किया गया है. जांच एजेंसियों ने फिरोजपुर झिरका के गांव अहमदबास के रहने वाले डॉ. मोहम्मद को पकड़ा है. मोहम्मद ने MBBS अल फलाह यूनिवर्सिटी से ही की है. करीब 3 महीने पहले ही मोहम्मद ने यूनिवर्सिटी से 6 महीने की इंटर्नशिप पूरी की थी और वो नौकरी की तलाश में था. जानकारी के मुताबिक, मोहम्मद 15 नवंबर को अल फलाह यूनिवर्सिटी में ड्यूटी जॉइन करने वाला था लेकिन उससे पहले दिल्ली में ब्लास्ट हो गया.

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विश्वविद्यालय की ज़मीन की होगी जाँच

इस संबंध में, फरीदाबाद ज़िला प्रशासन ने अल फलाह विश्वविद्यालय की ज़मीन की गहन जाँच के आदेश दिए हैं. धौज गाँव में स्थित यह विश्वविद्यालय लगभग 78 एकड़ में फैला है. प्रशासन अब यह पता लगाने में लगा है कि इस ज़मीन का कितना हिस्सा उपयोग में है और कितना खाली है. पटवारी विश्वविद्यालय की ज़मीन की नाप-जोख कर रहे हैं. ज़मीन की लंबाई, चौड़ाई और इमारतों की स्थिति का पूरा लेखा-जोखा तैयार किया जा रहा है. ज़मीन की न केवल नाप-जोख हो रही है, बल्कि प्रशासन यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि ज़मीन किससे और किस कीमत पर खरीदी गई थी. विश्वविद्यालय यह भी पता लगा रहा है कि ज़मीन खरीदने के लिए विश्वविद्यालय को किसने और कितनी राशि दी.

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