शाहाबाद से अनिल भार्गव की रिपोर्ट
Shahabad heavy rainfall: शाहाबाद(बारां )कोटरा गांव में आज़ादी के बाद पहली बार ग्रामीणों का वर्षों पुराना सपना पूरा हुआ था, जबबरसा बीलखेड़ा डांग ग्राम पंचायत से कोटरा तक पक्की सड़क का निर्माण हुआ लेकिन यह खुशी महज कुछ हफ्तों में ही मायूसियों में बदल गई। पहली तेज बारिश में ही सड़क का बड़ा हिस्सा बह गया और पुलिया ध्वस्त हो गई, जिससे घटिया निर्माण की पोल खुल गई।
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ग्रामीण बोले – सीमेंट की जगह मिट्टी-पत्थर डाले, जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि सार्वजनिक निर्माण विभाग की कार्यकारी एजेंसी ने सड़क निर्माण में भारी लापरवाही बरती। आरोप है कि पुलिया निर्माण में सीमेंट की जगह मिट्टी और पत्थर भर दिए गए, जो पानी के तेज बहाव में बह गए। सड़क किनारे बनी नालियों का भी निर्माण अधूरा छोड़ा गया, जिससे पानी का बहाव सीधे सड़क पर चढ़ गया और उसका बड़ा हिस्सा टूटकर बिखर गया।
अब सड़क टूटने से कोटरा और आसपास के दर्जनों गांवों के लोगों का आवागमन मुश्किल हो गया है। रोजाना स्कूली बच्चों, मजदूरों और किसानों को खतरनाक और फिसलन भरे कच्चे रास्तों से गुजरना पड़ रहा है। कई दोपहिया वाहन चालक सड़क की टूटी परत और गड्ढों में फिसलकर घायल हो चुके हैं।
स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर सड़क की गुणवत्ता जांचने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों ने किस आधार पर इसे पास किया। क्या निर्माण के समय तकनीकी मानकों का पालन किया गया या फिर महज कागजों में खानापूर्ति कर दी गई? ग्रामीणों का कहना है कि यह जनता के पैसों की खुली लूट है, जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
ग्रामीण हुए परेशान
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार यहां पक्की सड़क देखी थी लेकिन बरसात में उसके यूं बह जाने से अब भरोसा टूट गया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषी एजेंसी और अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, उनका लाइसेंस रद्द किया जाए और सड़क को नए सिरे से गुणवत्तापूर्ण तरीके से बनाया जाए।
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। बरसात में बह चुकी यह सड़क अब सिर्फ टूटे पत्थरों और कीचड़ के ढेर में बदल चुकी है, और क्षेत्रवासी घटिया काम का खामियाजा रोजाना भुगत रहे हैं