Home > देश > मनमोहन सरकार में ऐसा क्या हुआ कि फरार हो गए थे शिबू सोरेन, गंवानी पड़ी थी कोयला मंत्री की कुर्सी, अंदर की बात जान रह जाएंगे दंग

मनमोहन सरकार में ऐसा क्या हुआ कि फरार हो गए थे शिबू सोरेन, गंवानी पड़ी थी कोयला मंत्री की कुर्सी, अंदर की बात जान रह जाएंगे दंग

Shibu Soren:दरअसल 23 जनवरी 1975 को बांसपहाड़ी, रजैया, चिरुडीह, तरणी, मुचियाडीह, रसियाभिट्ठा आदि जगहों पर नदी किनारे लोग घातक हथियारों और बंदूकों से लैस होकर दंगा करने के इरादे से जमा हुए थे।

By: Divyanshi Singh | Last Updated: August 4, 2025 1:05:02 PM IST



Shibu Soren: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार सुबह निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। उन्होंने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। शिबू सोरेन झारखंड के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे लेकिन इसके अलवा वो केंद्रीय मंत्री भी रहे। वो जब मनहोन सरकार में कोयला मंत्री थे तब कुछ ऐसा हुआ था जिसकी वजह से पूरे देश में हंगामा मच गया था।तारीख़ थी 19 जुलाई और साल था 2004. मनमोहन सरकार को बने अभी दो महीने ही हुए थे कि जामताड़ा के न्यायिक मजिस्ट्रेट एके मिश्रा द्वारा जारी एक वारंट ने सरकार की टेंशन बढ़ा दी। ये वारंट सरकार के केंद्रीय मंत्री शिबू सोरेन के फरार होने का था. उस समय शिबू सोरेन केंद्रीय कोयला मंत्री थे।

मनमोहन सरकार में कोयला मंत्री

17 जुलाई 2004 को जामताड़ा अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने शिबू सोरेन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था। उस समय शिबू सोरेन मनमोहन सरकार में कोयला मंत्री थे। इस पूरे मामले को समझने के लिए हम आपको कई साल पीछे ले चलते हैं।

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फरार हो गए थे शिबू सोरेन

दरअसल, 23 जनवरी 1975 को बांसपहाड़ी, रजैया, चिरुडीह, तरणी, मुचियाडीह, रसियाभिट्ठा आदि जगहों पर नदी किनारे लोग घातक हथियारों और बंदूकों से लैस होकर दंगा करने के इरादे से जमा हुए थे। इस नरसंहार में 11 लोग मारे गए थे। इस नरसंहार के बाद कई आरोपी फरार हो गए थे। इनमें से एक शिबू सोरेन बताया जाता है।

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गँवाना पड़ा मंत्री पद

17 जुलाई 2004 को जब जामताड़ा अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी ने शिबू सोरेन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया, तो वे भूमिगत हो गए थे। इसके बाद, झारखंड उच्च न्यायालय ने उन्हें 2 अगस्त 2004 तक आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। उसके बाद ही वे 30 जुलाई को मीडिया के सामने आए। फिर 2 अगस्त 2004 को झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन ने जामताड़ा जिला सत्र न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। इसके कारण उन्हें अपना मंत्री पद भी गँवाना पड़ा। हालाँकि, उसी दिन झारखंड उच्च न्यायालय ने उन्हें सशर्त ज़मानत दे दी थी।

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